5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कुंडली में सूर्य कमजोर हैं तो रखें यह व्रत, होगी हर मनोकामना पूरी

पौष शुक्ल सप्तमी 29 दिसंबर को है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को कामदा सप्तमी व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार जिस शख्स की कुंडली में सूर्य कमजोर हैं, उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए। कामदा सप्तमी व्रत कैसे करें (Kamda Saptami Vrat) , यह जानना चाह रहे हैं तो पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

2 min read
Google source verification

image

Shailendra Tiwari

Dec 26, 2022

kamdasaptami_puja.jpg

कामदा सप्तमी व्रत

Kamda Saptami Vrat: यह व्रत हर महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाता है। यह व्रत भगवान सूर्य को समर्पित है, यह व्रत कामनापूर्ति माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर होते हैं, उन्हें धन हानि होती है और जीवन में कई तरह की परेशानियां आती रहती हैं।

ज्योतिष शास्त्र में इसके निवारण के लिए कामदा सप्तमी व्रत (Kamda Saptami Vrat) रखने की बात कही गई है ताकि सूर्य मजबूत हों। इससे व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। इस व्रत का हर चार महीने पर उद्यापन का विधान है।

ये भी पढ़ेंः Skand Shashthi Vrat: संतान को कष्ट से बचाएगा यह व्रत, नोट कर लें तिथि और मंत्र

कामदा सप्तमी तिथिः पंचांग के अनुसार कामदा सप्तमी की शुरुआत 28 दिसंबर रात 8.44 बजे हो रही है और यह तिथि 29 दिसंबर शाम 7.17 बजे संपन्न होगी। इसलिए उदया तिथि में कामदा सप्तमी 29 दिसंबर गुरुवार को मनाई जाएगी और इसी दिन यह व्रत रखा जाएगा।


कामदा सप्तमी व्रत पूजा विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के मुताबिक इस व्रत को उस शख्स को जरूर रखना चाहिए, जिसकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है और किसी काम में सफलता नहीं मिल पा रही है। इस व्रत को करने से अच्छी सेहत भी मिलनी चाहिए। इस व्रत स्वास्थ्य, धन, संतान, पद प्रतिष्ठा सबकी प्राप्ति होती है। कामदा सप्तमी व्रत के लिए इस विधि को अपनाना चाहिए।

ये भी पढ़ेंः जानें मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का इतिहास, क्या है इससे जुड़ा विवाद

1. आचार्य प्रदीप के मुताबिक षष्ठी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए।
2. सप्तमी के दिन सुबह स्नान ध्यान के बाद ऊं खरखोल्काय नमः मंत्र से भगवान भास्कर की पूजा करनी चाहिए। बाकी दिन ऊं सूर्याय नमः मंत्र से भगवान का ध्यान करें।
3. सूर्य देव की पूजा के बाद घी, गुड़ आदि दान करना चाहिए।


4. अष्टमी के दिन स्नान के बाद सूर्य देव के लिए हवन करें। इस दिन ब्राह्मणों की पूजा कर खीर खिलाने का भी विधान है।
5. अष्टमी के दिन अर्क के पत्तों का सेवन करना चाहिए।