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Jatayu Friendship with King Dasharatha: किसके के पुत्र थे जटायु, राजा दशरथ से कैसे हुई मित्रता, जानिए पूरी कहानी

Jatayu Friendship with King Dasharatha: राजा दशरथ और जटायु की मित्रता की कहानी समस्त मानव समाज के लिए प्रेरणादायक है। क्योंकि जटायु ने राजा दशरथ की बिना किसी स्वार्थभाव के की जान बचाई थी।

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जयपुर

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Sachin Kumar

Dec 02, 2024

Jatayu Friendship with King Dasharatha

Jatayu Friendship with King Dasharatha

Jatayu Friendship with King Dasharatha: रामायण में जटायु की अहम भूमिक रही है। इनको रामायण में गिद्धराज जटायु के नाम से भी जाना जाता है। जटायु और भगवान श्रीराम से जुड़ी हुई कई कहानियां भी प्रचलित हैं। जिनमें जटायु ने भगवान राम की मदद की थी। आइए जानते है किसके पुत्र थे जटायु और कैसे हुई थी राजा दशरथ से मित्रता ?

अरुण के पुत्र (son of arun)

गिद्धराज जटायु अरुण के पुत्र थे। जो सूर्यदेव के रथ के सारथी माने जाते हैं। अरुण विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ के भाई थे। धार्मिक कथाओं के अनुसार जटायु और संपाती दो भाई थे। दोनों को पक्षीराज कहा जाता था। वे वीर और धर्मपरायण पक्षी योद्धा माने जाते थे।

राजा दशरथ और जटायु की मित्रता (Friendship of King Dasharatha and Jatayu)

धार्मिक कथाओं के अनुसार यह मित्रता उस समय की है। जब राजा दशरथ अपने राज्य का विस्तार और धर्म की रक्षा के लिए अलग-अलग जगह भ्रमण कर रहे थे। एक बार जंगल में राजा दशरथ पर दानवों ने हमला बोल दिया। यह बात जब पक्षीराज को पता चली तो उन्होंने साहस दिखाते हुए राजा दशरथ की जान बचाई और राक्षसों का सामना किया। इस घटना के बाद राजा दशरथ ने जटायु को अपने मित्र मान लिया।

मित्रता में जटायु ने कुर्बान किए प्राण (Jatayu sacrificed his life in friendship)

रामायण के अनुसार पक्षीराज जटायु की मित्रता का महत्व तब सामने आया। जब उन्होंने भगवान राम और माता सीता की सहायता के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी। यह घटना राजा दशरथ और जटायु की मित्रता की गहराई और आदर्शों को दर्शाती है।

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