
Jatayu Friendship with King Dasharatha
Jatayu Friendship with King Dasharatha: रामायण में जटायु की अहम भूमिक रही है। इनको रामायण में गिद्धराज जटायु के नाम से भी जाना जाता है। जटायु और भगवान श्रीराम से जुड़ी हुई कई कहानियां भी प्रचलित हैं। जिनमें जटायु ने भगवान राम की मदद की थी। आइए जानते है किसके पुत्र थे जटायु और कैसे हुई थी राजा दशरथ से मित्रता ?
गिद्धराज जटायु अरुण के पुत्र थे। जो सूर्यदेव के रथ के सारथी माने जाते हैं। अरुण विष्णु भगवान के वाहन गरुड़ के भाई थे। धार्मिक कथाओं के अनुसार जटायु और संपाती दो भाई थे। दोनों को पक्षीराज कहा जाता था। वे वीर और धर्मपरायण पक्षी योद्धा माने जाते थे।
धार्मिक कथाओं के अनुसार यह मित्रता उस समय की है। जब राजा दशरथ अपने राज्य का विस्तार और धर्म की रक्षा के लिए अलग-अलग जगह भ्रमण कर रहे थे। एक बार जंगल में राजा दशरथ पर दानवों ने हमला बोल दिया। यह बात जब पक्षीराज को पता चली तो उन्होंने साहस दिखाते हुए राजा दशरथ की जान बचाई और राक्षसों का सामना किया। इस घटना के बाद राजा दशरथ ने जटायु को अपने मित्र मान लिया।
रामायण के अनुसार पक्षीराज जटायु की मित्रता का महत्व तब सामने आया। जब उन्होंने भगवान राम और माता सीता की सहायता के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दे दी। यह घटना राजा दशरथ और जटायु की मित्रता की गहराई और आदर्शों को दर्शाती है।
Updated on:
02 Dec 2024 11:50 am
Published on:
02 Dec 2024 11:47 am
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