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साल में दो बार क्यों मनाई जाती है शनि जयंती और हनुमान जन्मोत्सव, जानें वजह

Shani Jayanti Hanuman Janmotsav साल में एक बार जन्मदिन तो आप सब मनाते होंगे, लेकिन आप यह जानकर हैरान होंगे कि भारत में दो देवताओं हनुमानजी और शनि की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। आइये जानते हैं क्या है वजह

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Why Shani Jayanti Hanuman Janmotsav celebration twice

साल में दो बार क्यों मनाई जाती है शनि जयंती और हनुमान जन्मोत्सव

कलियुग के प्रमुख देवता

दरअसल, हिंदू धर्म के अनुसार इन दिनों कलियुग चल रहा है। कलियुग के प्रमुख देवता हनुमानजी और शनि देव हैं। इनकी पूजा देश भर में की जाती है। लोग इनकी जयंती पर पूजा पाठ, व्रत उपवास, भजन कीर्तन करते हैं। हालांकि इनका जन्मोत्सव देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। आइये जानते हैं कब-कब हनुमान जन्मोत्सव और शनि जयंती मनाया जाता है और इसके पीछे क्या है वजह

साल में दो बार शनि जयंती मनाने की वजह

दरअसल भारत में दो तरह के कैलेंडर प्रचलित हैं। इनके महीनों के नाम एक ही हैं, लेकिन समय में थोड़ा अंतर है। इस कारण देश के अलग-अलग हिस्से में इनके समय में थोड़ा अंतर हो जाता है। इसका असर शनि जयंती उत्सव सेलिब्रेशन पर भी पड़ता है। उज्जैन के पंचांगकर्ता पं. चंदन श्याम नारायण व्यास के अनुसार उत्तर भारत में पूर्णिमांत और दक्षिण भारत में अमावस्यांत कैलेंडर का प्रचलन है। दोनों में महीनों के नाम एक ही हैं, लेकिन अमावस्या और पूर्णिमा के बाद से महीने शुरू होने के चलते 15-15 दिन मिलाकर कैलेंडर में एक माह का फर्क आ जाता है।


व्यास के अनुसार उत्तर भारत के पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत के अमावस्यांत कैलेंडर के कारण यह तिथि वैशाख अमावस्या (उत्तर भारत के अनुसार) के दिन ही पड़ जाती है। हालांकि कुछ ग्रंथों में शनि देव का जन्म भाद्रपद की शनि अमावस्या के दिन माना गया है।

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हनुमान जन्मोत्सव क्यों मनाते हैं दो बार

इसी तरह हनुमान जयंती भी साल में दो बार मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार उत्तर भारत में चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा को यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक मार्च या अप्रैल के बीच और कार्तिक कृष्‍ण चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी को यानी सितंबर-अक्टूबर के बीच हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा तमिलानाडु और केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को और ओडिशा में वैशाख के पहले दिन मनाई जाती है। जानिए इसकी वजह


दरअसल, मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा को मेष लग्न और चित्रा नक्षत्र में सुब 6:03 बजे हनुमानजी का जन्म एक गुफा में हुआ था। लेकिन वाल्मिकी रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। इसके पीछे वजह बताई जाती है कि पहली तिथि पर हनुमानजी सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े थे, उसी दिन राहु भी सूर्य को ग्रास बनाने आया था लेकिन हनुमानजी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया।

इसलिए इस दिन विजय अभिनंदन दिवस मनाया जाता है, जबकि कार्तिक कृष्‍ण चतुर्दशी को उनका जन्म हुआ हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार माता सीता ने हनुमानजी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया था। यह दिन नरक चतुर्दशी का दिन था। इसलिए साल में दो बार यह उत्सव मनाने की परंपरा बन गई।

पूर्णिमांत कैलेंडर और अमावस्यांत कैलेंडर में फर्क

अमावस्यांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत अमावस्या के अगले दिन से होती है और महीना अमावस्या तक चलता है। यानी पहले पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष और इसका अंत कृष्ण पक्ष से होता है। इसीलिए इसे अमावस्यांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है। वहीं पूर्णिमांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत पूर्णिमा के अगले दिन यानी कृष्ण पक्ष से होती है और महीना पूर्णिमा के साथ खत्म होता है। इसे पूर्णिमांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है।