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धौलपुर

भारत में डेढ़ लाख लोग हर साल करते हैं आत्महत्या, सामूहिक आत्महत्या में दूसरे स्थान राजस्थान

– विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज
धौलपुर. सुख दुख, उतार चढ़ाव, लाभ-हानि, सफलता असफलता जीवन के दो प्राकृतिक पहलू हैं। कुछ लोग इन उतार-चढ़ावों को सहन नही कर पाते एवं जीवन को समाप्त करने जैसा कदम उठा लेते हैं।

धौलपुरSep 10, 2022 / 06:16 pm

Naresh

 1.5 lakh people commit suicide every year in India, Rajasthan second in mass suicide

भारत में डेढ़ लाख लोग हर साल करते हैं आत्महत्या, सामूहिक आत्महत्या में दूसरे स्थान राजस्थान

भारत में डेढ़ लाख लोग हर साल करते हैं आत्महत्या, सामूहिक आत्महत्या में दूसरे स्थान राजस्थान

– विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आज

धौलपुर. सुख दुख, उतार चढ़ाव, लाभ-हानि, सफलता असफलता जीवन के दो प्राकृतिक पहलू हैं। कुछ लोग इन उतार-चढ़ावों को सहन नही कर पाते एवं जीवन को समाप्त करने जैसा कदम उठा लेते हैं। हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि समाज में बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए आमजन को जागरूक कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सके। मनोचिकित्सक डॉ. सुमित मित्तल ने बताया कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष लगभग 1.5 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। 2019 में ये संख्या 1.39 लाख थी, जो 2021 में बढकऱ 1.64 लाख हो गई। कई विकसित राज्य जो ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में ऊंचे पायदान पर हैं जैसे केरल वो भी आत्महत्या में 7वें स्थान पर है। राजस्थान एकल आत्महत्या के मामले में 27वें स्थान पर है लेकिन, सामूहिक आत्महत्या में दूसरे स्थान है। आत्महत्या के कारणआत्महत्या करने वालों में 45 फीसदी लोग किसी न किसी मानसिक तनाव से ग्रसित थे। लगभग 33 फीसदी गृह कलेश, 15 व किसी मानसिक बीमारी से पीडि़त थे। अन्य कारणों में परीक्षा में असफल होना, बेरोजगारी, नशे की लत होना, प्रेम संबध में असफलता, किसी अपने की मृत्य का गम इत्यादि कारण प्रमुख थे। आत्महत्या के खतरे के संकेत- खुद को नाकारा एवं अनुपयोगी महसूस करना- खुद को दूसरों पर बोझ समझना- खुद का जीवन व्यर्थ एवं अर्थहीन लगना- दुनिया में खुद को अकेला महसूस करना- नशे की लत होना-अचानक अच्छी एवं दार्शनिक बातें करने लगना- अचानक अपनी वस्तुएं दूसरों को दे देना एवं सभी दोस्तों रिश्तेदारों से मिलना- चिड़चिड़ापन एवं उत्तेजित व्यवहार- आत्महत्या के तरीकों के बारे में खोजना या बात करना- आत्महत्या का कोई पुराना इतिहास क्या करना चाहिएडॉ. मित्तल ने बताया कि हम सभी को अपनी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। पीडि़त व्यक्ति के लिए हर समय उपलब्ध रहें और उनको सुनें। उनको अहसास दिलाएं कि वो अकेले नहीं हैं। आपस में तालमेल बढ़ाए, संवाद बनाएं, आध्यात्मिक एवं योग क्रियाएं जीवन में अपनाएं।मीडिया भी बरते संवेदनशीलतामीडिया को भी आत्महत्या से संबंधित खबर प्रकाशित करते समय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एवं मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 की गाइडलाइन का पालन करते हुए सकारात्मक रिपोर्टिंग करनी चाहिए। सनसनीखेज खबर बनाकर मुख्य पेज पर प्रकाशित न करें। आत्महत्या के तरीके या स्थान के बारे में नहीं बताना चाहिए, फोटो या पहचान उजागर करने से बचना चाहिए।

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