जानकारी के अनुसार 55 वर्षीय रामवीर मीणा खानपुर स्कूल में व्याख्याता पद पर तैनात थे। जिनकी 8 अप्रेल को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी। तब से उनका उपचार किया जा रहा था, लेकिन शाम उनकी तबीयत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर बाड़ी अस्पताल आए, जहां ऑक्सीजन लेवल कम होने पर चिकित्स्कों ने उसे 2 घंटे उपचार दिया। बाद में अचानक जब तबीयत और बिगड़ गई तो चिकित्स्कों ने उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया। बताया जा रहा है की उपचार के लिए धौलपुर ले जाते समय रास्ते में मरीज की मौत हो गई। घटना के बाद बाड़ी अस्पताल की मोर्चरी पहुंचाया गया, जहां मंगलवार को कोविड गाइड लाइन के तहत मृतक का अंतिम संस्कार किया गया है।
मामले को लेकर अस्पताल के पीएमओ डॉ. एसडी मंगल का कहना है कि मृतक रामवीर मीणा 8 अप्रेल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद उनका उपचार शुरू किया गया। सोमवार शाम उनकी तबियत बिगड़ी। जिसके बाद अस्पताल में उपचार दिया गया, लेकिन तबियत के कंट्रोल में नहीं आने पर जिला अस्पताल भेजा गया था। लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। जिसके बाद मंगलवार को कोरोना गाइड लाइन के तहत शव को पैकजिंग कर परिजनों को दिया गया है।
एक वर्ष से अस्पताल में 11 वेंटीलेटर, फांक रहे धूल
कोरोना संक्रमण फैलने के बाद बाड़ी सामान्य चिकित्सालय को गत वर्ष 11 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए गए थे। जिनको कोरोना संक्रमण के दौरान भर्ती गंभीर मरीजों को लगाया जाना था। जिससे उनकी जान को बचाया जा सके, लेकिन यह 11 वेंटिलेटर प्रशिक्षित चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के अभाव में बंद कमरे में धूल फांक रहे है। मृतक के परिजनों का आरोप है कि यदि वेंटिलेटर अस्पताल में ही लगा होता और उस पर उनके मरीज को रखा जाता तो जान बच सकती थी।
इनका कहना है
चिकित्सालय में वेंटीलेटर तो है, लेकिन उनको ऑपरेट करने वाला स्टाफ नहीं है। एक चिकित्सक जो ऑपरेट कर सकता था, उसे भी व्यवस्था के नाम पर जयपुर अस्पताल में लगाया है। ऐसे में सभी वेंटीलेटर बंद पड़े है। यही कारण है कि कल खानपुर गांव के एक मरीज की तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल लाया गया तो ऑक्सीजन लगाने के बाद सीधे धौलपुर रेफर कर दिया गया, जहां रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
डॉ. शिवदयाल मंगल, पीएमओ, बाड़ी चिकित्सालय।