आखिरकार जागा नगर पालिका प्रशासन। उक्त रास्ते में तकरीबन सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाने के बावजूद भी नगर पालिका द्वारा इस स्वान का निस्तारण बड़ी देर से किया गया जिसे लेकर कई लोगों ने व्यक्तिगत और सोशल मीडिया के माध्यम से भी स्थानीय उपखंड प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन को अवगत कराया था लेकिन नगर पालिका द्वारा ढाई महीने बाद ही सही गुरुवार को इसे पकड़ कर आबादी वाले इलाके से दूर छोड़ दिया गया।
छोटे रोजगार पर पढ़ रहा था भारी असर। इलाके में स्वान की दहशत इतनी हो गई थी कि स्थानीय छोटी मोटी दुकानों जिनमें कपड़े की परचून की और ईमित्र की दुकानों पर ग्राहकों की संख्या मात्र 10 से 20% ही रह गई थी ऐसे में कई दुकानदारों ने रोजगार पर हो रहे असर को लेकर भी सोशल मीडिया के माध्यम से आवाज उठाई थी।
आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए नहीं है उपयुक्त संसाधन। हालांकि नगर पालिका के द्वारा गुरुवार को पागल स्वान को पकड़ तो लिया गया लेकिन इस स्वान को पकड़ने में पालिका के कर्मचारियों को तकरीबन 3 घंटे भारी मशक्कत करनी पड़ी, इस दौरान देखने को मिला कि किसी भी प्रकार की तकनीकी सहायता के द्वारा उस स्वान को पकड़ने का प्रयास नहीं किया गया हालात इतने खराब है कि ट्रेकुलाइजर जेसा महत्वपूर्ण यंत्र भी नगर पालिका के पास उपलब्ध नहीं है जिससे ऐसे हिंसक हो चुके जानवरों को दूर से ही बेहोश कर पकड़ा जा सके, यही कारण रहा कि नगर पालिका के द्वारा इस पागल कुत्ते को पकड़ने में ढाई महीने का समय लगा जब तक बड़े पैमाने पर लोग इसका शिकार बन चुके थे फिर भी स्थानीय लोगों ने नगर पालिका द्वारा गुरुवार को अमल में लाई गई कार्यवाही पर नगर पालिका प्रशासन को धन्यवाद प्रेषित किया।