राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत 17 अक्टूबर 2014 को पर्यावरण का जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया था। जिसमें 8 प्रमुख प्रदूषक तत्वों को शामिल किया गया था। जिनमें पीएम 2.5 और पीएम 10 भी शामिल थे। इसके लिए 6 वर्ग बनाए गए। जिनमें 0 से 50 तक अच्छा, 51 से 100 तक संतोषजनक, 101 से 200 तक सामान्य, 201 से 300 तक खराब और 301 से ऊपर तो अतिखराब की श्रेणी रेड जोन माना गया। जो मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा करता है। इन हालात में श्वसन संबंधी रोग फैलने लगते है। फेफड़े व हृदय संबंधी रोगियों के लिए तो यह काफी खतरनाक होता है। लंबे समय तक अगर मनुष्य ऐसे वातावरण में रहे तो स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो जाता है ।
नियमों का कर रहे उल्लंघन
क्षेत्र में स्थापित ईंट भट्टे सरकार के नियमों का खुला उल्लंघन भी कर रहे हैं। इन पर बिहार और उत्तरप्रदेश के श्रमिक परिवार बेहद अमानवीय हालात में काम करते हैं। जिनके छोटे छोटे बच्चों को भी भट्टों के खतरनाक कार्यो में लगा दिया जाता है। राजस्व की चोरी की तो कोई सीमा ही नहीं है। बड़ी संख्या में तो प्रभावशालियों के भट्टों का भू उपयोग परिवर्तन तक नहीं कराया गया है। जिन्होंने कराया है वो केवल चिमनी की भूमि का है, जबकि इससे 20 गुना भूमि तक व्यावसायिक कार्यो में प्रयुक्त करते है। खनन नियमो का तो ये खुला उल्लंघन कर ही रहे हैं। अगर जांच की जाए तो ये सारी अनियमितताएं सामने आ जाएंगी। लेकिन इनकी जांच और कार्यवाही के नाम पर सिर्फ प्रशासन और प्रभावशाली व्यवसायियों की नूरा कुश्ती ही होकर रह जाती है।
नाहर सिंह , तहसीलदार, राजाखेड़ा।
इनका कहना है