योजना के तहत जिन ग्राम पंचायतों में गोशालाएं नहीं है, वहां ग्राम पंचायत गोशाला अथवा पशु आश्रय स्थल खोलने का प्रावधान किया गया है। योजना का उद्देश्य निराश्रित गोवंश के पालन-पोषण से उनके जीवन स्तर में सुधार लाना, गोवंश से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाना और लावारिस गोवंश के अनियंत्रित प्रजनन में कमी लाना है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. पी.के. अग्रवाल ने बताया कि जिले में 13 गोशाला में से सिर्फ एक ही अनुदान योग्य है। राज्य सरकार द्वारा चरणबद्ध रूप से पशु आश्रय स्थल खोले जाएंगे। योजना के तहत ग्राम पंचायत अथवा चयनित गैर सरकारी संस्था यानी एनजीओ इनका निर्माण एवं संचालन करेंगे। इसके लिए संबंधित ग्राम पंचायत अथवा एनजीओ के पास पशु आश्रय स्थल के लिए 5 बीघा भूमि स्वयं की अथवा लीज की या 200 गोवंश की गोशाला होना आवश्यक है। 200 गोवंश की देखभाल का कार्य न्यूनतम 20 वर्ष तक करना होगा। जिन पंचायतों में पहले से गोशाला या नंदीशाला स्थापित नहीं है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
ऐसे होगा चयन संचालन करने वाली संस्था का चयन पारदर्शी प्रक्रिया से जिला गोपालन समिति द्वारा ऑफलाइन खुली निविदा जारी कर किया जाएगा। जिला गोपालन समिति का दायित्व पशु आश्रय स्थल स्थापित करने का रहेगा। इसमें जिला कलक्टर अध्यक्ष एवं पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक सदस्य सचिव होंगे। वहीं, जिला परिषद सीईओ, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता और कोषाधिकारी सदस्य होंगे।
पंचायत समिति स्तर पर मॉनिटरिंग वहीं, पंचायत समिति स्तर पर निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच, मूल्यांकन और मॉनिटरिंग के लिए समिति होगी, जिसके अध्यक्ष उपखंड अधिकारी एवं सदस्य सचिव पशुपालन विभाग के उप निदेशक होंगे। वहीं बीडीओ और पंचायत समिति अथवा सानिवि के सहायक अभियंता सदस्य होंगे।