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अफसरों की लापरवाही जनता पर भारी: एक गलती की कीमत 90 करोड़ रुपए और 140 किमी का चक्कर

locationधौलपुरPublished: Aug 26, 2019 09:50:12 am

Submitted by:

dinesh

Bridge on Chambal River: अधिकारियों की एक गलती बाड़ी, सरमथुरा व मध्यप्रदेश के जौरा क्षेत्र के लोगों पर भारी पड़ रही है। तीस साल पहले चम्बल नदी पर पुल ( Chambal River ) बनाकर 140 किलोमीटर के फासले को 10 दस किलोमीटर में बदलने के प्रयास शुरू हुए थे, लेकिन उस एक गलती को क्षेत्र के लोग तीन दशक से 10 की बजाए 140 किलोमीटर का सफर कर भुगत रहे हैं…

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महेश गुप्ता/धौलपुर। अधिकारियों की एक गलती बाड़ी, सरमथुरा व मध्यप्रदेश के जौरा क्षेत्र के लोगों पर भारी पड़ रही है। तीस साल पहले चम्बल नदी पर पुल ( Bridge on Chambal River ) बनाकर 140 किलोमीटर के फासले को 10 दस किलोमीटर में बदलने के प्रयास शुरू हुए थे, लेकिन उस दौरान हुई एक गलती को क्षेत्र के लोग तीन दशक से 10 की बजाए 140 किलोमीटर का सफर कर भुगत रहे हैं। हालांकि अब ये प्रयास फिर से शुरू हुए हैं, लेकिन अब इस पुल के लिए तब की लागत 4.50 करोड़ की बजाए 90 करोड़ चुकाने होंगे।
राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा स्थित सोने का गुर्जा पर वर्ष 1996 में पुल का निर्माण कार्य बंद होने तक इस प्रोजेक्ट पर 11 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके थे। अब नई डीपीआर में पुल निर्माण की लागत 90 करोड़ रुपए पहुंच गई। पुल निर्माण के लिए राजस्थान व मध्यप्रदेश क्षेत्र में वन विभाग से एनओसी भी मिल चुकी है।
क्या है मामला
वर्ष 1989 में सोने का गुर्जा सेवर-पाली चम्बल पुल नाम से स्वीकृति जारी हुई थी। पुल निर्माण का जिम्मा आरएसआरडीसी को सौंपा गया। इसमें 12 स्पान (दो खम्भों की दूरी) बनने थे। इनमें से 7 खम्भे बन गए, जिनमें से 6 पर स्लैब भी डल गई, लेकिन 10 वें नम्बर के खम्भे की दूरी 105 मीटर के स्थान पर 132.5 मीटर कर दी गई। गलती सामने आने पर निर्माण रोक दिया गया। यह खम्भा चम्बल नदी के अंदर बनाना था, जो इतनी दूरी होने के कारण क्षतिग्रस्त हो सकता था। निर्माण कराने वाले अभियंताओं को निलम्बित कर दिया गया। बाद में उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है
– एक खम्भे की गलत डिजायन के कारण सोने का गुर्जा पर 23 साल से अधूरे पड़े चम्बल पुल निर्माण के लिए सीएम को पत्र लिखा था। उन्होंने सार्वजनिक निर्माण विभाग को भेजा है।
गिर्राजसिंह मलिंगा, विधायक, बाड़ी
– आरएसआरडीसी को वर्ष 2011 में सौंपी डीपीआर में लागत 64 करोड़ रुपए बताई गई थी। वन विभाग से स्वीकृति मिल गई है, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने निर्णय नहीं किया है कि पुल सबमरसिबल बनाया जाना है या फिर हाइलेवल।
बीडी इंदौरा, परियोजना निदेशक, आरएसआरडीसी, धौलपुर
– वर्ष 1989 में सेवर-पाली चम्बल पुल निर्माण की लागत करीब 4.50 करोड़ रुपए थी। इसमें एक स्पान की गलत डिजायन के कारण इसका कार्य रोक दिया गया था। अब इसकी लागत करीब 90 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।
आर.बी. मंगल, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, बाड़ी तथा सेवानिवृत्त एक्सईएन।
फोटो – प्रतीकात्मक

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