वर्ष 1989 में सोने का गुर्जा सेवर-पाली चम्बल पुल नाम से स्वीकृति जारी हुई थी। पुल निर्माण का जिम्मा आरएसआरडीसी को सौंपा गया। इसमें 12 स्पान (दो खम्भों की दूरी) बनने थे। इनमें से 7 खम्भे बन गए, जिनमें से 6 पर स्लैब भी डल गई, लेकिन 10 वें नम्बर के खम्भे की दूरी 105 मीटर के स्थान पर 132.5 मीटर कर दी गई। गलती सामने आने पर निर्माण रोक दिया गया। यह खम्भा चम्बल नदी के अंदर बनाना था, जो इतनी दूरी होने के कारण क्षतिग्रस्त हो सकता था। निर्माण कराने वाले अभियंताओं को निलम्बित कर दिया गया। बाद में उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
– एक खम्भे की गलत डिजायन के कारण सोने का गुर्जा पर 23 साल से अधूरे पड़े चम्बल पुल निर्माण के लिए सीएम को पत्र लिखा था। उन्होंने सार्वजनिक निर्माण विभाग को भेजा है।
गिर्राजसिंह मलिंगा, विधायक, बाड़ी
बीडी इंदौरा, परियोजना निदेशक, आरएसआरडीसी, धौलपुर
आर.बी. मंगल, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, बाड़ी तथा सेवानिवृत्त एक्सईएन।