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डांग में आएगी विकास की बहार, दो दशक से अधूरा पड़ा चम्बल पुल होगा पूरा

locationधौलपुरPublished: Mar 06, 2021 03:32:48 pm

Submitted by:

Naresh

बाड़ी. करीब 21 वर्षों से बाड़ी उपखंड के चंबल किनारे डांग क्षेत्र में सेवर घाट पर बने अधूरे पुल निर्माण की आखिरकार राज्य सरकार ने सुध ले ही ली। दशकों से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए पुल निर्माण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्माण की स्वीकृति जारी की है। इस पुल पर करीब 80 से 90 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पुल के निर्माण होने के बाद सेवर-पाली से जहां जौरा की सडक़ मार्ग से दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है, वहीं पुल के माध्यम से यह दूसरी केवल 10-15 किलोमीटर ही रह जाएगी।

Dang will come out of development, Chambal bridge incomplete for two decades will be completed

डांग में आएगी विकास की बहार, दो दशक से अधूरा पड़ा चम्बल पुल होगा पूरा

डांग में आएगी विकास की बहार, दो दशक से अधूरा पड़ा चम्बल पुल होगा पूरा

– मुख्यमंत्री ने बजट बहस के दौरान पुल निर्माण के लिए दी स्वीकृति

बाड़ी. करीब 21 वर्षों से बाड़ी उपखंड के चंबल किनारे डांग क्षेत्र में सेवर घाट पर बने अधूरे पुल निर्माण की आखिरकार राज्य सरकार ने सुध ले ही ली। दशकों से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए पुल निर्माण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्माण की स्वीकृति जारी की है। इस पुल पर करीब 80 से 90 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पुल के निर्माण होने के बाद सेवर-पाली से जहां जौरा की सडक़ मार्ग से दूरी 100 किलोमीटर से अधिक है, वहीं पुल के माध्यम से यह दूसरी केवल 10-15 किलोमीटर ही रह जाएगी।
करीब ढाई दशक पूर्व सेवर पाली पर पुल का निर्माण तो शुरू करा दिया गया था, लेकिन चम्बल नदी के बची में मात्र एक फीता अधिक नापने के कारण दो खम्भो की दूसरी अधिक हो गई थी। इसे तकनीकी खामी मानते हुए राज्य सरकार ने इस पुल निर्माण रूकवा दिया था। इस मामले को राजस्थान पत्रिका ने 26 अगस्त 2019 को राज्य स्तर पर उठाया था। इसके बाद हरकत में आई सरकार ने आरएसआरडीसी के प्रस्तावों को खंगालना शुरू कर दिया। वहीं विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा की ओर से भी भरपूर प्रयास किए जा रहे थे। ढाई दशक से ही पुल पूरा होने की लोग बाट जोह रहे हैं। इसको लेकर डांग क्षेत्र के लोग भी बेहद परेशान हैं, क्योंकि डांग का विकास इसी पुल पर निर्भर है। साथ में बाड़ी के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र का मुरैना के जोरा कैलारस और सबलगढ़ क्षेत्र से इस पुल के बनने पर आवागमन और आसान हो जाएगा। डांग का विकास और दूरी कम करने को लेकर ही करीब 25 वर्ष पहले इस पुल के निर्माण की नींव रखी गई थी। आधे से अधिक पुल निर्माण के बाद दो खंभों के बीच की दूरी में आई तकनीकी खामी ने इस पुल को ऐसा अभिशाप दिया कि यह पूरा ही नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को विधानसभा में अपनी बजट बहस के दौरान इस अधूरे पुल के निर्माण के लिए 81 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। अब देखना यह है की किस दिन इस पुल के पूरे होने के लिए निर्माण कार्य फिर से शुरू होता है।

इनका कहना है
बाड़ी विधानसभा के हर क्षेत्र के विकास के लिए मेरे द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सेवर पर पड़े अधूरे पुल को लेकर भी मैं कई बार सदन में मांग उठा चुका था। मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत मिलकर भी मैंने इस समस्या को उनके सामने रखा था। जिसके कारण ही मुख्यमंत्री ने अपने बजट बहस में 81 करोड़ की राशि स्वीकृत करते हुए इस अधूरे पुल के निर्माण की बात कही है। बाड़ी क्षेत्र की जनता को इससे बड़ा लाभ मिलेगा और डांग के नाम से जो लोग भयभीत होते हैं। वहां के रहने वाले लोगों का जीवन स्तर भी सुधर सकेगा।
गिर्राज सिंह मलिंगा, विधायक, बाड़ी।
इनका कहना है
धौलपुर जिले के लिए डांग अभी तक अभिशाप बनी हुई है, क्योंकि इसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा, लेकिन डांग के सेवर घाट पर पड़ा अधूरा चंबल पुल पूरा होने जा रहा है। ऐसे में एमपी जाने के लिए एक नया रास्ता मिलेगा। कैलारस, सबलगढ़, विजयपुर, श्यामपुर, जोरा जैसे कस्बों से सीधा संपर्क जुड़ेगा, जो एक मायने में व्यापार को भी शुरू कराएगा। ऐसे में डांग का विकास होना स्वभाविक है। हो सकता है कि डांग की मिटटी में कोई कल कारखाने स्थापित हो जाए तो डांग की दशकों पुरानी दस्यु समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
मुकेश सिंघल अग्रोहा, जिला अध्यक्ष अग्रवाल महासमिति, धौलपुर।
इनका कहना है

विधायक के अथक प्रयास आज रंग ला रहे हैं। चाहे रिंग रोड हो या अधूरा सेवर पुल। यह ऐसी समस्याएं थी, जो लोगों को बड़ी जटिल लगती थी और लगता था कि यह समस्याएं नहीं सुलझ पाएंगी, लेकिन अब बरसों पुराना अधूरा पड़ा पुल फिर से बनने की ओर जा रहा है। इससे पत्थर व्यवसाय भी कहीं ना कहीं उन्नति करेगा।
मुन्नालाल मंगल, जिला अध्यक्ष स्टोन पॉलिशर्स संघ धौलपुर
इनका कहना है
बाड़ी के सेवर पुल की स्वीकृति मिलना वास्तव में डांग के विकास के लिए स्वीकृति मिलना है। जिस डांग में जाने से लोग भयभीत होते हैं, वहां पुल बनने पर नया रास्ता बनेगा। एमपी से जुड़े लोगों को और हमें एमपी जाने के लिए आदि दूरी तय करनी पड़ेगी। ऐसे में व्यापार भी बढ़ेगा और यातायात के वाहन भी चलेंगे। निश्चित ही डांग में कई जगह ऐसी फैक्ट्रियां स्थापित होंगी, जो उसके विकास की धुरी बनेगी।
संजय गोयल , पूर्व अध्यक्ष, व्यापार संघ बाड़ी।
इनका कहना है
जब हम पढ़ते थे, तब सेवर पुल, रिंग रोड जैसे मुद्दे चर्चा में आते थे, लेकिन यह कहा जाता था कि इनको बनाना सपने जैसा है। लेकिन आज यह सपने पूरे होते दिखाई दे रहे हैं। अगर संघर्ष लगातार करें, तो वह सच किया जा सकता है। अब रिंग रोड और सेवर पुल यह दो विकास के लिए एक नए आयाम लिखने जा रहे हैं।
रूबी पहाडिय़ा, सरपंच, धन्नुपुरा, बाड़ी।
इनका कहना है

मैंने अपने छोटे से जीवन में रक्तदान को लेकर जो प्रयास किए हैं, उनमें कई बार डांग के उस पार एमपी में भी गया हूं। जब कभी एमपी जाना होता था, तो लंबे रूट को तय करते करते थक जाते थे। सेवर पुल के बनने पर एमपी जाने में समय भी कम लगेगा और दूरी भी आधी रह जाएगी। अब लालसा यह है कि यह पुल जल्द से जल्द निर्मित हो और यातायात शुरू हो।
रोहित मंगल, फाउंडर रक्तदान ग्रुप, बाड़ी।
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