लेकिन हमारे अपने उनके बाप हो गए
वतन के पुजारी हैं, जो बहुत गमगीन हैं
नेता जो चुनके भेजे, तस्करी में लीन है।
सांसद कबूतर बाज नोट भरे थैले में,
कौन असली, कौन नकली क्या पता झमेले में
बहन छोड़ी भैयो छोड़े, छोड़ी परछाइयां
जिन्होंने जलाए दिए अंधेरों में खो गए
आदमी बनाके तुमको कब्रों में सो गए।
अगर बो न होत कोई पूछता न धेले में,
कौन असली, कौन नकली, क्या पता झमेले में
गधे घोड़े बिक रहे हैं एक भाव मेले में
रामबाबू सिकरवार, राष्ट्रीय कवि, कुरेंदा, बाड़ी।