धौलपुर

धौलपुर से एक कविता रोज….शहीद और सैनिक

जो वतन की खातिर मिटे उनको सलाम हैजाबांज सैनिको को कोटिश: प्रणाम हैआतंकवादियों को घ में घुस के मारकरदुनिया को बता दिया ये हिन्दुस्तान है।

धौलपुरSep 28, 2020 / 05:49 pm

Naresh

धौलपुर से एक कविता रोज….शहीद और सैनिक

धौलपुर से एक कविता रोज….शहीद और सैनिक
जो वतन की खातिर मिटे उनको सलाम है
जाबांज सैनिको को कोटिश: प्रणाम है
आतंकवादियों को घ में घुस के मारकर
दुनिया को बता दिया ये हिन्दुस्तान है।

मैं कौन हूं, कहां हूं पहचान दे देता हूं
पत्थर से इन दिलों में मुस्काने ढूंढ़ता हूं
मिलती है भीड़ भारी मुर्दे भी मिल रहे हैं।
इस भीड में मुर्दों में इंसान ढूंढ़ता हूं।
माना कि गुलामी वाले कुछ चिह्न धो गए
लेकिन हमारे अपने उनके बाप हो गए
वतन के पुजारी हैं, जो बहुत गमगीन हैं
नेता जो चुनके भेजे, तस्करी में लीन है।
सांसद कबूतर बाज नोट भरे थैले में,
कौन असली, कौन नकली क्या पता झमेले में
छोड़े हसीन सपने छोड़ी शहनाइयां
बहन छोड़ी भैयो छोड़े, छोड़ी परछाइयां
जिन्होंने जलाए दिए अंधेरों में खो गए
आदमी बनाके तुमको कब्रों में सो गए।
अगर बो न होत कोई पूछता न धेले में,
कौन असली, कौन नकली, क्या पता झमेले में
गधे घोड़े बिक रहे हैं एक भाव मेले में

रामबाबू सिकरवार, राष्ट्रीय कवि, कुरेंदा, बाड़ी।
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