हालात यह है कि चंबल के घाटों से बड़ी संख्या में ट्रेक्टर-ट्रॉलियों से रेता का स्टॉक किया जा रहा है। चंबल के आसपास के गांवों के खेतों में रेता का अवैध स्टॉक आसानी से देखा जा सकता है। बारिश का सीजन शुरू हो चुका है। बारिश के चार महीने तक चंबल नदी का जलस्तर बढ़ा रहता है। ऐसे में यहां होने वाला अवैध रेत उत्खनन काफी हद तक बंद हो जाता है, लेकिन अवैध उत्खन बंद होने का यह मतलब नहीं है कि रेत का अवैध कारोबार बंद हो जाए। रेत माफिया इतने शातिर और बेखौफ हैं कि वह बारिश के चार महीने तक रेत की सप्लाई करने के लिए चंबल नदी के आसपास बीहड़ों में इतनी मात्रा में रेत का स्टाक कर लेते हैं, जिसकी सप्लाई पूरे मानसून सीजन होती है।
एसआईटी की कार्रवाई सिफर
रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए बनी एसआईटी में राजस्व, पुलिस, वन और खान विभाग के अधिकारी-कर्मचारी शामिल किए गए। एसआईटी की बैठकों में अवैध रेत का मामला सबसे पहले उठता है लेकिन, एसआईटी ने अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की, जिसका उल्लेख किया जा सके।
गत वर्ष शहर से बरामद किया स्टॉक
गत वर्ष इन्हीं दिनों में धौलपुर शहर में ही पुलिस ने कार्रवाई कर बड़ी मात्रा में अवैध रेता का स्टॉक बरामद किया था। 29 जून 2021 को पुलिस ने निहालगंज थाना इलाके की घोसला विहार कॉलोनी एवं कोतवाली थाना क्षेत्र की आशियाना कॉलोनी से करीब 150 ट्रॉली अवैध बजरी का स्टॉक बरामद किया था।
बने रेत के पहाड़
रेत माफियाओं की स्थिति यह है कि चंबल नदी के घाट तक ट्रैक्टर-ट्राली पहुंचने का रास्ता जिस भी गांव से है वहां से रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन हो रहा है। रेत माफिया गांव के आसपास और गांव से बाहर बीडड़ क्षेत्र में रेत का अवैध स्टाक कर रहे हैं। हालात यह हैं कि रेत के छोटे-छोटे पहाड़ यहां बन गए हैं।