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धौलपुर से एक कविता रोज….बेटी

locationधौलपुरPublished: Sep 27, 2020 05:06:28 pm

Submitted by:

Naresh

बेटी की जान बचानी है तो बेटों को समझाएं, जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी तो साकार रूप है इस वसुधा का अंश है, बेटी बिन ये जग सूना, बेटी ही बेटों का वंश हैसीख जाएंगे जिस दिन, बेटे सीधे रस्ते चलना,

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धौलपुर से एक कविता रोज….बेटी

बेटी की जान बचानी है तो बेटों को समझाएं,
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।

बेटी तो साकार रूप है इस वसुधा का अंश है,
बेटी बिन ये जग सूना, बेटी ही बेटों का वंश है
सीख जाएंगे जिस दिन, बेटे सीधे रस्ते चलना,
क्रूर हाथों से बेटी को, फिर नहीं पड़ेगा मरना।
हैवान बने नहीं बेटे उनको ऐसी सीख सिखाएं।
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी की जान बचानी है तो …………………. ।
बेटी स्वयं सृष्टि है, सृष्टि की अनुपम रचना है,
बेटी है श्रृंगार धरा का, बेटी सबका सपना है।
साकार हुए सपने पर संकट जब मंडराता है,
विकृत मन बेटा ही बेटी को आँख दिखाता है।
विकृत मन न हों बेटे, उनको ऐसे पाठ पढ़ाएं।
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी की जान बचानी है तो …………………. ।
बेटी का दुर्भाग्य न हो डर डर के राह चलना,
बेटी के भाग्य न हो सिसक सिसक के मरना।
घर घर की सोन चिरैया, चहके मुंडेर सजाए,
पथ आते जाते बेटी को भय ना कहीं सताए।
बेटों के मन सोए हुए, अब कृष्ण राम जगाएं।
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी की जान बचानी है तो …………………. ।
मुकेश सिकरवार “दादा” एडवोकेट

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