बेटी है श्रृंगार धरा का, बेटी सबका सपना है।
साकार हुए सपने पर संकट जब मंडराता है,
विकृत मन बेटा ही बेटी को आँख दिखाता है।
विकृत मन न हों बेटे, उनको ऐसे पाठ पढ़ाएं।
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी की जान बचानी है तो …………………. ।
बेटी के भाग्य न हो सिसक सिसक के मरना।
घर घर की सोन चिरैया, चहके मुंडेर सजाए,
पथ आते जाते बेटी को भय ना कहीं सताए।
बेटों के मन सोए हुए, अब कृष्ण राम जगाएं।
जीवन पथ पे चलना पहले उनको सिखलाएं।
बेटी की जान बचानी है तो …………………. ।