ऐ करवाचौथ के चांद सुन, चांद मेरे से कह देना, तुम अपना फर्ज निभाने में, इस पागल को न बिसरा देना, अब ऋतु आई त्योहारों की,
धौलपुर से कविता रोज…फरियाद
धौलपुर से कविता रोज…फरियाद ऐ करवाचौथ के चांद सुन, चांद मेरे से कह देना, तुम अपना फर्ज निभाने में, इस पागल को न बिसरा देना, अब ऋतु आई त्योहारों की, अब चांद मेरे तुम आ जाना, तुम बिन घर ये सूना है हर आहट बोले तुम आए हर नजर तुम को ढूंढ़ रही सुन चांद मेरे तुम आ जाना, आना अगर मुमकिन ना हो, एक संदेशा भिजवाना तुम अच्छे हो, खुश रहते हो ये मुझको तुम बतलाना मुन्ना पूछे बारम्बार, पापा नहीं आएंगे, क्या इस बार, ेमेरी भीगी पलकों पर, रुका हुआ है एक सवाल तुम मातृभूमि का कर्ज चुकाने में इस आंगन को न बिसराना ऐ चांद मेरे तुम आ जाना ऐ चांद मेरे तुम आ जाना चांद मेरा कुछ धुंधला है यादों का चला सिलसिला है दिन-रात की चक्की चलती है मौसम रंग रोज बदलता है ऐ चांद मेरे तुम आ जाना कुछ बातें नई पुरानी है जो सिर्फ तुमको ही सुनानी है हम रूठ गए तो क्या होगा इस सोच ने हमको रोका है ऐ चांद मेरे तुम आ जाना कुछ रिश्ते नए पुराने है कुछ अपने हुए बेगाने है जीवन-पथ पर चलते-चलते मुझे फर्ज कई निभाने हैं तुम आकर साथ निभा जाना ऐ चांद मेरे तुम आ जाना