मजदूर इस कदर सडक़ों पर न रोता
कोरोना तब तू आता जब चुनाव होता
आज जूं रेंगती नहीं जिनके कान पर
वो घर तुम्हे पहुंचाते सर पे बिठा कर
खाने वाले थे बहुत बनाने वाले आप थे
कमाने वाले लाखों के हजारों हाथ आप थे
दुनियां बनाने वाला चकनाचूर हो गया
कोरोना तब तू आता जब चुनाव होता
आज जूं रेंगती नहीं जिनके कान पर
वो घर तुम्हे पहुंचाते सर पे बिठा कर
खाने वाले थे बहुत बनाने वाले आप थे
कमाने वाले लाखों के हजारों हाथ आप थे
दुनियां बनाने वाला चकनाचूर हो गया
देश का देखो कैसा मजदूर हो गया कवि गिर्राज शर्मा राजाखेड़ा