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धौलपुर से एक कविता रोज…..पापा

locationधौलपुरPublished: Sep 23, 2020 06:00:56 pm

Submitted by:

Naresh

आप ही हो, जिसने मुझे संवारा, आप ही तो हो, जिसने मुझे दिशा दी, आप ही हो, जिसने मुझे लडऩा सिखाया, बेकाबू स्थिति में काबू में आना सिखाया, हर मुश्किल को आसान बनाया,

dholpur se ek kavita roj... papa

धौलपुर से एक कविता रोज…..पापा

धौलपुर से एक कविता रोज…..पापा.
आप ही हो, जिसने मुझे संवारा,
आप ही तो हो, जिसने मुझे दिशा दी,
आप ही हो, जिसने मुझे लडऩा सिखाया,
बेकाबू स्थिति में काबू में आना सिखाया,
हर मुश्किल को आसान बनाया,
वो…आप ही तो हो…
पापा..
आप ही तो हो, जिसने समझी मेरी खुशी में अपनी खुशी,
जब जब मैं रोया, तो दूसरी ओर आपकी आंखें भीगी,
और हमेशा याद में एक-दूसरे की पलकें भीगी,
और..आप ही हो, जिसने ये जिंदगी सींची,
वो आप ही तो हो…
जब जब मैं खुद को अकेला पाता हूं,
सब तरफ के रास्ते बंद पाता हूं,
और हार मानकर नीचे बैठ जाता हूं…लेकिन,
तब मैं आंखें बंद करके एक चेहरा याद करता हूं…
नई राह का राहगीर बन जाता हूं…
वो चेहरा…
पापा, आप ही तो हो…
ऐसे बहुत से मौके होते हैं…
जब सब लोग विरोध में होते हैं…लेकिन
तब जो लडऩे का जुनून आता है,
सब कुछ कर जाने का जी कह जाता है..
और आखिरकार..जीत का झण्डा ही लहराता है…
वो होसला..
आप ही तो हो…
शिविंद्र मित्तल, निवासी सरमथुरा, धौलपुर।

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