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धौलपुर से एक कविता रोज… पिता

locationधौलपुरPublished: Sep 29, 2020 05:22:20 pm

Submitted by:

Naresh

मां पर कविता तो हर कोई लिखता है, पर पापा को शायद ही कोई याद करता है। मां की ममता तो हर किसी को नजर आती है, पर पापा का प्यार छुप जाता है।

dholpur se ek kavita roj ... pita

धौलपुर से एक कविता रोज… पिता

धौलपुर से एक कविता रोज… पिता

मां पर कविता तो हर कोई लिखता है,
पर पापा को शायद ही कोई याद करता है।
मां की ममता तो हर किसी को नजर आती है,
पर पापा का प्यार छुप जाता है।
इसका मतलब ये नहीं है कि वो हमें चाहते नहीं,
बल्कि अपना प्यार दिखाकर हमें कमजोर बनाते नहीं।
शायद इसलिए मां से हर कोई वो बात कह देता है,
जो पापा से कहने में हिचकता है।
इसलिए बच्चे अपनी मां के पास,
और पापा से दूर होते हैं।
अपनी इच्छाओं का बलिदान देकर,
बच्चों की इच्छा पूरी करते हैं वो,
खुद धूप में तपकर, बच्चों को छाया देते हैं वो।
परिवार के लालन पालन की हर जिम्मेदारी निभाते हैं वो,
चाहे खाना या कोई बीमारी हो।
वो ही बनते हैं सबकी हिम्मत,
जब आती है कोई मुसीबत।
सबके आंसू पोछके खुद अंदर ही अंदर रोते,
ऐसे ही पापा होते हैं सबके।
उनके बिना जिंदगी अधूरी सी है,
क्यंूकि वो बहुत जरूरी है।
लेखक- प्रियांशी गोयल, बारहवीं कक्षा की छात्रा है। बचपन से कविता लिखने का शौक है।

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