scriptधौलपुर से एक कविता रोज….तुम मिले तो… | dholpur se ek kavita roj.... tum mile to | Patrika News

धौलपुर से एक कविता रोज….तुम मिले तो…

locationधौलपुरPublished: Sep 25, 2020 06:33:54 pm

Submitted by:

Naresh

धौलपुर से एक कविता रोज….तुम मिले तो…
तुम मिले तो मुझे जि़न्दगी मिल गयी।
दिल का आँगन महकता नहीं था कभी,मन का पंक्षी चहकता नही था कभी,कितना व्याकुल था, नीरस था जीवन मेरा,तुम मिले तो मुझे ताजगी मिल गयी।तुम मिले…..

dholpur se ek kavita roj.... tum mile to

धौलपुर से एक कविता रोज….तुम मिले तो…

तुम मिले तो मुझे जि़न्दगी मिल गयी।

दिल का आँगन महकता नहीं था कभी,
मन का पंक्षी चहकता नही था कभी,
कितना व्याकुल था, नीरस था जीवन मेरा,
तुम मिले तो मुझे ताजगी मिल गयी।
तुम मिले…..

मेरी नैया भँवर में थी अटकी हुई
जि़न्दगी के सफर में थी भटकी हुई
मुझको मंजि़ल की मेरी नहीं थी खबर
तुम मिले तो मुझे रोशनी मिल गयी।
तुम मिले तो मुझे….
तुम मेरी स्याह रातों का साया बने,
धूप में तुम शजऱ जैसी छाया बने,
ग़म नहीं पास अब मीत आता मेरे,
तुम मिले तो मुझे हर ख़ुशी मिल गयी।
तुम मिले….

कविता

पत्नी की चाह

सुन लो मेरे प्रियतम प्यारे,
तुम पर मैंने तन-मन वारे।
संग तेरे अब मुझको रहना है,
पर पहले कुछ तुमसे कहना है।
है नया सफर और नई डगर है,
मुझसे गलती होने का भी डर है।
मैं हूं ना, बस इतना कहना
गलती पर मेरी, मेरे साथ में रहना।
खाना नित अति स्वाद बनाऊंगी
मैं सबके मन में झट भा जाऊंगी
नमक मिर्च से जब बेस्वाद हो खाना
बस मैके के तुम ताने न सुनना।
इंसां हंू मै, थक भी जाऊंगी,
आज नहीं, कह के सो जाऊंगी।
मेरे मन को तुम भी पढ़ लेना,
कल फिर होगी मिलन की रैना।
गर पुरुष मित्र कोई हो मेरा,
और शक का भी हो घना अंधेरा।
सहधर्मिणी जान मुझको समझना,
व्यभिचारिणी जान के न दूर भागना।
जब ताप का मुझ पर हो पहरा,
मन में संताप विरह का गहरा,
मैं बस एक साथ तुम्हारा चाहूंगी
मैं तो हर बाधा से लड़ जाऊंगी।
तकरार भी होगी कभी-कभी,
मनुहार भी होगी कभी-कभी
तुमसे सम्मान अगर मैं पाऊंगी,
सच मानो सम्पूर्ण तभी हो जाऊंगी।
दुविधा में कभी जो घिर जाओगे,
और कोई राह अगर न तुम पाओगे।
बस अहम त्याग कर ये कह देना
जब तुम हो संग में तो क्या डरना।
बबीता शर्मा, अध्यापिका, निजी स्कूल, धौलपुर।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो