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किसानों की आलू से रुसवाई, आधी रह गई बुवाई

locationधौलपुरPublished: Nov 19, 2019 02:04:17 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

जिले में जहां गेहूं व सरसों की बुवाई लक्ष्य से अधिक रहेगी, वहीं किसान आलू से रुसवा हो गए हैं। इसके चलते इस बार अभी तक आधी बुवाई भी हो पाई है। इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण लागत के मुकाबले कमाई नहीं होना है।

किसानों की आलू से रुसवाई, आधी रह गई बुवाई

किसानों की आलू से रुसवाई, आधी रह गई बुवाई

आलू पैदावार के लिए विख्यात है धौलपुर जिला
महेश गुप्ता
धौलपुर. जिले में जहां गेहूं व सरसों की बुवाई लक्ष्य से अधिक रहेगी, वहीं किसान आलू से रुसवा हो गए हैं। इसके चलते इस बार अभी तक आधी बुवाई भी हो पाई है। इसके पीछे सबसे प्रमुख कारण लागत के मुकाबले कमाई नहीं होना है। इससे किसान आलू की खेती से विमुख हो रहे हैं। जिले में हर वर्ष 9000 से 10 हजार हैक्टेयर में आलू की बुवाई की जाती है। लेकिन इस बार मात्र 5000 से 5500 हैक्टेयर में ही बुवाई की गई है। इससे पैदावार भी कम होने की संभावना है। जिले में धौलपुर, बाड़ी, राजाखेड़ा, सैंपऊ क्षेत्र में अधिक मात्रा में आलू की खेती की जाती है।
क्यों हो रहा मोह भंग
जिले में भारी मात्रा में आलू की खेती की जाती है। इसके चलते फसल आने पर आलू की भरमार रहती है। इसके चलते आलू की दाम औंधे मुंह रहते हैं। तकरीबन 250 से 300 रुपए कट्टे में बेचने की मजबूरी रहती है। लेकिन किसान ऊंचे भाव के फेर में आलू के कट्टों को कोल्ड स्टोरेज में रखता है। जिससे भाव आने पर अच्छे दाम मिल सकें। लेकिन विगत दो साल से लागत भी नहीं पा रही है। वहीं मेहनत पर पानी फिर रहा वो अलग।
यूं आती है फसल में लागत
किसानों के अनुसार सवा बीघा खेत में 45 हजार रुपए करीब की लागत आती है। इसके बाद फसल होने पर 10 रुपए बिनाई, 10 रुपए छंटाई, 10 रुपए लदाई तथा 10 रुपए का भाड़ा लग जाता है। अगर कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं, तो प्रति कट्टा 120 रुपए की लागत आती है। वर्तमान में थोक भाव 400 से 450 रुपए प्रति कट्टा बिक रहा है। ऐसे में किसानों को पूरा भाव नहीं मिल पाता है। इसके चलते जिले के किसानों खेती से मुंह मोड़ लिया है और दूसरी फसलों की ओर से रुख कर लिया है।
मेरे सवा बीघा के खेत में आलू की खेती करने पर 45 हजार रुपए की लागत आई थी, अब पूरी फसल को 40 हजार रुपए में बेचकर आया हूं। इसलिए आलू बो कर क्या करेंगे।
जनकसिंह लोधा, किसान, रजौरा कला।
आलू की खेती करने से कोई फायदा नहीं हो रहा है। लागत के मुताबिक भी कीमत नहीं मिल पा रही है। इस कारण खेती में कमी आई है।
रूपेन्द्र सिंह लोधा, रजौरा कला, किसान।
जिले में तकरीबन 9 से 10 हजार हैक्टेयर में आलू की बुवाई होती है। लेकिन गत वर्ष से किसानों को लागत की भी पूरी कीमत नहीं मिलने के कारण उनका मोह भंग हो रहा है। इसके चलते अभी तक मात्र 5500 हैक्टेयर में ही आलू की बुवाई की गई है।
गोपाल कृष्ण शर्मा, सहायक निदेशक, कृषि विभाग, धौलपुर।
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