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कोरोना का खौफ, इतिहास में पहली बार भादो मास में नहीं भरेंगे मेले

locationधौलपुरPublished: Aug 02, 2020 12:13:32 pm

Submitted by:

Naresh

बाड़ी. उपखंड में भादो मास में लगने वाले मेले इस बार देखने को नहीं मिलेंगे। कारण विश्वव्यापी महामारी कोरोना संक्रमण है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने जिले में लगने वाले सभी प्रकार के मेलों और अन्य सामूहिक जलसे वाले आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में भादो मास में उपखंड क्षेत्र में लगने वाले लक्खी मेले इस बार देखने को नहीं मिलेंगे।

 Fear of Corona, for the first time in history, fair will not be held in Bhado month

कोरोना का खौफ, इतिहास में पहली बार भादो मास में नहीं भरेंगे मेले

कोरोना का खौफ, इतिहास में पहली बार भादो मास में नहीं भरेंगे मेले
-डांग के बाबू, विशिनगीर, महाकाल सहित देवछठ मेले पर लगा ग्रहण
-ठाकुर जी भी नहीं निकल सकेंगे नगर भृमण और नौका विहार पर

बाड़ी. उपखंड में भादो मास में लगने वाले मेले इस बार देखने को नहीं मिलेंगे। कारण विश्वव्यापी महामारी कोरोना संक्रमण है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने जिले में लगने वाले सभी प्रकार के मेलों और अन्य सामूहिक जलसे वाले आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में भादो मास में उपखंड क्षेत्र में लगने वाले लक्खी मेले इस बार देखने को नहीं मिलेंगे। बाड़ी उपखंड में भादो मास में काफी संख्या में छोटे-बड़े मेले लगते हैं। यह मेले न केवल उपखंड, बल्कि जिला सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इनसे धर्मिक और सामाजिक आस्था जुड़ी हुई है। जिनमें डांग के बाबू का मेला तो पूरे देश में विख्यात है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और बाबू के थान को ढोक लगाकर मनौती मांगते हैं। इस दौरान युवाओं द्वारा गंगा जल की कावड़ भी चढ़ाई जाती है। लेकिन इस बार ना तो डांग के बाबू का मेला भरेगा और ना त्वचा रोगों की सुनने वाले रामसागर बांध किनारे स्थित बाबा विशिनगीर आश्रम पर लक्खी मेला भरेगा। ऐसे में कोरोना के संक्रमण से सरमथुरा के बाबा महाकाल का मेला भर पाएगा। चर्चा के दौरान जब ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग मेला नहीं लगने की बात सुनते है, तो मायूस हो जाते है। वहीं इन मेलों से दो वक्त की रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले सैकड़ों दुकानदार और फेरी वाले भी परेशान नजर आ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार भादो मास कृष्ण पक्ष पड़वा से लेकर शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक बाड़ी उपखंड के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कई मेले भरते हैं, जो इतिहास में पहली बार इस बार देखने को नहीं मिलेंगे। कृष्ण पक्ष की शुरुआत पड़वा को ही शहर के चंवरिया पाड़ा और आसपास के क्षेत्र में फुलरियों का मेला भरता है, जो इस बार नहीं लगेगा। वहीं कृष्ण पक्ष नवमीं को विशिनगीर बाबा की वार्षिक जात लक्खी मेले के रूप में भरती है। जिसमें हजारो की संख्या में जातरु पहुंचते है। यह मेला कई दिन चलता है। इस मेले को लेकर भी मंदिर आश्रम द्वारा अब कोई तैयारी नहीं की जा रही, क्योंकि प्रशासन ने मेले पर प्रतिबंध लगाया है। इसी प्रकार चंबल किनारे डांग में थून नामक स्थान पर स्थित बाबू महाराज का मेला शुक्ल पक्ष दौज को लगता है, जो इस बार देखने को नहीं मिलेगा। यह मेला गुर्जर समाज के साथ हर आम और खास के लिए एक विशेष महत्व रखता था, लेकिन इस बार इस मेले पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है। वहीं शुक्ल पक्ष छठवीं को शहर के तुलसीवन में बागों का मेला भरता है, जो इस बार नहीं लगेगा। शुक्ल पक्ष नवमीं को महाकाल सरमथुरा के साथ उपखंड के ग्रामीण क्षेत्र में मेला लगता है, जो इस बार नहीं लगेगा।
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