मानद वन्य जीव प्रतिपालक राजीव तौमर ने बताया कि हाल में चंबल नदी में करीब 1850 घडिय़ाल और 706 मगरमच्छ का निवास है। चंबल में पानी का प्रवाह बढऩे पर किनारों पर पहुंच जाते है। चंबल नदी के सटे गांवों में घडिय़ाल और मगरमच्छ किनारों पर अपना डेरा कर लेते है। घडिय़ाल का वजन अधिक होने के कारण ज्यादा चल फिर नहीं पाता है और वह पानी में रहता है। हाल में चंबल का जल स्तर बढऩे और जल प्रवाह बना रहने के कारण घडिय़ाल किनारे पर किसी गड्ढे में स्वयं को सुरक्षित कर लेते है, जबकि मगरमच्छ की गति घडिय़ाल से अधिक होने के कारण वह अधिक दूरी तक चल फिर सकता है और यह मानव पर हमला भी कर सकता है।
चम्बल नदी के बहाव के साथ तटवर्ती गांव गमां में एक मगरमच्छ घुस गया था। इस दौरान ग्रामीणों में दहशत फैल गई। लोगों ने दिन में ही घरों पर ताले लगा दिए। वहीं जिस खेत में आया था, उसमें लोग खेत संभालने ही नहीं पहुंचे। बाद में वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को रेस्क्यू किया और वापस चम्बल में छोड़ा था। चम्बल किनारे बसे धौलपुर, राजाखेड़ा, सरमथुरा के गांवों में मगरमच्छों का भय बना हुआ है। राजाखेड़ा क्षेत्र के कठूमरा, महदपुरा, भूडा, शंकरपुरा, करीलपुर आदि गांवों के लोगों ने मंगलवार को बताया कि उनके गांवों में मगरमच्छ घुस गए हैं। वहीं कई गड्ढों में पड़े हुए हंै। इनके आबादी में घुसने की आशंका है। इसके चलते भय बना हुआ है।
चम्बल किनारे गांवों में मगरमच्छों के आने की आशंका को देखते हुए जिला कलक्टर ने भी एडवाइजरी जारी की हुई है।