scriptचम्बल किनारे गांवों में बाढ़ से आफत, ‘मगरमच्छ’ के डर से सांसत में जान | Flood due to floods in villages along the Chambal, fear of 'crocodile' | Patrika News

चम्बल किनारे गांवों में बाढ़ से आफत, ‘मगरमच्छ’ के डर से सांसत में जान

locationधौलपुरPublished: Sep 18, 2019 11:12:25 am

Submitted by:

Mahesh gupta

चम्बल नदी में आए उफान से जिले में बाढ़ से जनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है, इसके उलट नदी में भारी संख्या में मौजूद मगरमच्छ व घडिय़ालों के आबादी इलाकों में घुसने से ग्रामीणों का जीवन संकट में है। लोग बाढ़ के पानी से तो जैसे-तैसे बच रहे हैं, लेकिन मगरमच्छ व घडिय़ालों की आवक से अधिक चिंतित दिखाई दे रहे हैं।

चम्बल किनारे गांवों में बाढ़ से आफत, ‘मगरमच्छ’ के डर से सांसत में जान

चम्बल किनारे गांवों में बाढ़ से आफत, ‘मगरमच्छ’ के डर से सांसत में जान

महेश गुप्ता
धौलपुर. चम्बल नदी में आए उफान से जिले में बाढ़ से जनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है, इसके उलट नदी में भारी संख्या में मौजूद मगरमच्छ व घडिय़ालों के आबादी इलाकों में घुसने से ग्रामीणों का जीवन संकट में है। लोग बाढ़ के पानी से तो जैसे-तैसे बच रहे हैं, लेकिन मगरमच्छ व घडिय़ालों की आवक से अधिक चिंतित दिखाई दे रहे हैं। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में इन पर नजर रखे हुए हैं। चम्बल नदी में करीब दो हजार मगरमच्छ व घडिय़ाल हंै। चम्बल में बहाव आने पर बहने के डर से ये किनारे पर हो जाते हैं और जमीन तलाशते हैं। वर्तमान में चम्बल का जलस्तर अपने पूरे शबाब पर है। इसके चलते इन जलीय जीवों ने चम्बल किनारे वाले क्षेत्रों को अपना ठिकाना बना लिया है। वहीं पानी के बहाव से
बचने के लिए आबादी क्षेत्र में घुस रहे हैं। इसके चलते ग्रामीणों में भय व्याप्त है।
चंबल नदी में 1850 घडिय़ाल और 706 मगरमच्छ
मानद वन्य जीव प्रतिपालक राजीव तौमर ने बताया कि हाल में चंबल नदी में करीब 1850 घडिय़ाल और 706 मगरमच्छ का निवास है। चंबल में पानी का प्रवाह बढऩे पर किनारों पर पहुंच जाते है। चंबल नदी के सटे गांवों में घडिय़ाल और मगरमच्छ किनारों पर अपना डेरा कर लेते है। घडिय़ाल का वजन अधिक होने के कारण ज्यादा चल फिर नहीं पाता है और वह पानी में रहता है। हाल में चंबल का जल स्तर बढऩे और जल प्रवाह बना रहने के कारण घडिय़ाल किनारे पर किसी गड्ढे में स्वयं को सुरक्षित कर लेते है, जबकि मगरमच्छ की गति घडिय़ाल से अधिक होने के कारण वह अधिक दूरी तक चल फिर सकता है और यह मानव पर हमला भी कर सकता है।
चार दिन पहले गमां में आ गया था मगरमच्छ
चम्बल नदी के बहाव के साथ तटवर्ती गांव गमां में एक मगरमच्छ घुस गया था। इस दौरान ग्रामीणों में दहशत फैल गई। लोगों ने दिन में ही घरों पर ताले लगा दिए। वहीं जिस खेत में आया था, उसमें लोग खेत संभालने ही नहीं पहुंचे। बाद में वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को रेस्क्यू किया और वापस चम्बल में छोड़ा था। चम्बल किनारे बसे धौलपुर, राजाखेड़ा, सरमथुरा के गांवों में मगरमच्छों का भय बना हुआ है। राजाखेड़ा क्षेत्र के कठूमरा, महदपुरा, भूडा, शंकरपुरा, करीलपुर आदि गांवों के लोगों ने मंगलवार को बताया कि उनके गांवों में मगरमच्छ घुस गए हैं। वहीं कई गड्ढों में पड़े हुए हंै। इनके आबादी में घुसने की आशंका है। इसके चलते भय बना हुआ है।
चम्बल किनारे गांवों में मगरमच्छों के आने की आशंका को देखते हुए जिला कलक्टर ने भी एडवाइजरी जारी की हुई है।
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