चंबल पुल पर पानी का गेज 143.50 मीटर दर्ज किया गया है। पुल से ऊपर बह रहे पानी से जिले की सैकंडों ढाणियां डूब गई। वहीं 47 से अधिक गांवों के लोग पलायन कर गए। चंबल नदी में पानी का जलस्तर बढ़ने से कई गांवों का संपर्क मार्ग टूट गया। हालत यह रही कि चंबल का पानी खेतों से होकर सड़कों पर 10 से 15 फीट तक बह रहा है। नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीण इलाकों में पानी भरने के बाद प्रदेश के कई जिलों से आई एसडीआरएफ टीम ने प्रभावित गांवों में फंसे ग्रामीणों को बोट से सुरक्षित निकाला।
बाड़ी तहसील के करुआपुरा में करीब 10 फीट तक पानी भर गया। ग्रामीणों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। गांव में भरे पानी के बाद ग्रामीण मकानों की छत पर पहुंच गए और बढ़ते जलस्तर की स्थिति को देखते रहे। राजाखेड़ा के गढ़ी जाफर में भी हालात खराब हैं। निचले स्तर के गांवों में पानी की अधिक आवक होने पर ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। इधर, चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोगों की परेशानियां उस वक्त और बढ़ गई, जब पानी के सहारे मगरमच्छ ग्रामीणों के खेतों में पहुंच गए। चंबल नदी का जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ रहा है, ग्रामीणों को पशुओं और उनके चारे की चिंता सताने लगी है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार दोपहर को कोटा, बूंदी, झालावाड़ के बाद धौलपुर जिले में हवाई मार्ग से बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। साथ ही धौलपुर से गुजर रही चम्बल नदी स्थित पुराने पुल पर जाकर नदी के बहाव को देखा, जो वर्ष 1996 के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंची है। इस दौरान उन्होंने जिला कलक्टर नेहा गिरी तथा सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुरेश मीणा से चम्बल नदी में वर्तमान गेज 143.20 मीटर के अलावा कितना पानी आएगा और क्या स्थिति पैदा हो सकती है, किन-किन गांवों में पानी बढ़ सकता है, इसका फीडबैक लिया।