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चार माह से बिना बजट सज रही पोषाहार की थाली

राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को मिड-डे मील में पोषक आहार देने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन हालात यह हैं कि रसोई का सामान खरीदने के लिए चार माह से बजट तक जारी नहीं किया गया। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। हर बार स्कूलों में मिड-डे मील का सूखा राशन तो पहुंचा दिया जाता है, लेकिन खाना तैयार करने के लिए अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए दिया जाने वाला बजट कई माह बाद जारी किया जाता है। ऐसे में स्कूल मुखिया को विभिन्न व्यंजन तैयार करवाने के लिए अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।

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चार माह से बिना बजट सज रही पोषाहार की थाली The nutritional plate has been decorated without budget for four months

-ढाई हजार मिड डे मील वर्कर्स तीन महीनों से मानदेय को तरसी

धौलपुर.राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को मिड-डे मील में पोषक आहार देने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन हालात यह हैं कि रसोई का सामान खरीदने के लिए चार माह से बजट तक जारी नहीं किया गया। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। हर बार स्कूलों में मिड-डे मील का सूखा राशन तो पहुंचा दिया जाता है, लेकिन खाना तैयार करने के लिए अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए दिया जाने वाला बजट कई माह बाद जारी किया जाता है। ऐसे में स्कूल मुखिया को विभिन्न व्यंजन तैयार करवाने के लिए अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।

जिले में राजकीय स्कूलों की संख्या ११७० हैं। इन स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 8 तक के करीब पौन दो लाख विद्यार्थियों के लिए मिड-डे मील तैयार किया जाता है, जिसमें प्राइमरी स्कूलों और अपर प्राइमरी स्कूलों के विद्यार्थी शामिल हैं। इसमें पहली से पांचवीं कक्षा तक के प्रत्येक बच्चे पर रोजाना मिड-डे मील के तहत जहां 5.45 रुपये खर्च होते हैं वहीं अपर प्राइमरी के विद्यार्थी पर यह खर्च बढक़र 8.17 रुपये तक पहुंच जाता है। तो वहीं समय पर कुक कम हेल्परों को मानदेय मिल रहा है। करीब तीन माह से सरकार ने स्कूलों को मिड डे मील की सामग्री एवं कुक कम हेल्परों का बजट नहीं दिया है। यह हालात अकेले धौलपुर का नहीं अपितु पूरे प्रदेश के हैं।

विद्यार्थी संख्या के अनुसार जारी किया जाता है बजट

शिक्षा विभाग की तरफ से सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार चावल, आटा व अन्य सूखा राशन पहुंचाया जाता है। व्यंजन तैयार करने के लिए अन्य खाद्य सामग्री व अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए प्रत्येक स्कूल को विद्यार्थियों की संख्या अनुसार बजट जारी किया जाता है। इस बजट से स्कूल मुखिया रसोई गैस, नमक, मिर्च, तेल, दाल, बेसन, मसाले सहित अन्य जरूरी सामान खरीदते हैं। यह सामान सरकार की तरफ से गांव स्तर पर खोले गए हर हित स्टोर से ही खरीदना होता है। स्कूल मुखियाओं को दो माह से बजट का इंतजार है।

बाल गोपाल दूध योजना की राशि भी अटकी

राजकीय विद्यालयों तथा मदरसों को पन्नाधाय दूध योजना में गैस, चीनी, दूध गर्म तैयार करने व्यक्ति की मानदेय राशि, भी पिछले शैक्षिक सत्र की कहीं जनवरी से कहीं अपे्रल से बकाया चल रही है। इन राशियों का भी बजट विभाग ने जारी नहीं किया गया है। 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के दोपहर के भोजन तैयार करने की कन्वर्जन कास्ट की राशि भी समय पर नहीं दी जाती है। हालत यह हैं कि जिले के स्कूलों को पिछले अगस्त माह से पोषाहार की कन्वर्जन कास्ट नहीं दी गई है।

मिड-डे मील उपायुक्त से मिली जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार से पहली किश्त मिल चुकी है। जिस कारण अगले हफ्ते तक अगस्त से दिसम्बर तक का भुगतान हो जाएगा।

राजेश कुमार, डीईओ एलिमेंट्री

एक नजर

जिले में स्कूलों की संख्या-११७०

राजकीय स्कूलों में लगभग बच्चे-1 लाख 45 हजार

प्राइमरी के विद्यार्थियों पर खर्च- 5.45 रुपए

अपर प्राइमरी विद्यार्थियों पर 8.17 रुपए

मिड डे मील वर्कर्स जिले में 2.500