Indian skimmer bird news: धौलपुर . चंबल के बीहड़ों से एक अच्छी खबर है। विलुप्त होने के कगार पर खड़े इंडियन स्कीमर (पनचीरा) पक्षी को स्वच्छ जल वाली चंबल नदी का प्राकृतिक रहवास रास आ रहा है। खूबसूरत और आकर्षक लाल चोंच के पक्षी इंडियन स्कीमर ने चंबल क्षेत्र में नदी के बीच रेता के टापुओं पर अंडे देना शुरू कर दिया है। बता दें, देश के एक चौथाई इंडियन स्कीमर पक्षी चंबल नदी के तट पर ही पाए जाते हैं। ये करीब नौ-दस महीने तक चंबल नदी के रेतीले टापुओं पर कलरव करते हैं। बारिश में बाढ़ से पहले ये पक्षी करीब डेढ़-दो माह विदेश में गुजारने के लिए उड़ान भरते हैं। झुंड में इन पक्षियों की जलक्रीड़ा और अठखेलियां अनायास ही अपनी ओर ध्यान खींचती है। चंबल के टापुओं पर इनका शोर और मछली पकडऩ़े के दौरान इनकी कलाबाजी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों और पक्षी प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जुलाई-अगस्त में जब इनके बच्चे उड़ान भरने लायक हो जाएंगे तब ये यहां से उडकऱ गुजरात के जामनगर व आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा से लेकर पड़ोसी देश बांग्लादेश के निझुम द्वीप तक चले जाते हैं। वहां करीब एक-सवा महीने रुककर फिर वापस चंबल में आ जाते हैं।दुनियाभर के 40 फीसदी चंबल के किनारेमुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के मुताबिक दुनिया में लुप्त की कगार पर पहुंचे पनचीरा पक्षी को चंबल की आबोहवा खूब रास आती है। दुनिया भर में जितनी संख्या है, उसके 40 फीसदी पक्षी चंबल में पाए जाते हैं।मार्च से मई तक प्रजनन कालमार्च से मई महीने तक इन पक्षियों का प्रजनन काल होता है। जुलाई-अगस्त में इनके बच्चे उड़ान भरने लायक हो जाते हैं। इसी दौरान बारिश के कारण चंबल नदी का जलस्तर बढ़ता है और रेता के टापू डूब जाते हैं। इसलिए ये यहां से उड़ जाते हैं और फिर नवंबर-दिसंबर में वापस लौटते हैं।रंग बदलते हैं बच्चेइंडियन स्कीमर के बच्चे जन्म के समय भूरे रंग के होते हैं। वयस्क होने पर गुलाबी लंबी चोंच, सफेद गर्दन, गुलाबी पैर और काले रंग का धड़ होता है।20-22 दिन में निकलते हैं अंडों से बच्चेइंडियन स्कीमर के बच्चे करीब 20-22 दिन बाद अंडों से बाहर निकलते हैं। इस दौरान ये पक्षी इन्हें बारी-बारी से सेते हैं। अंडों से बच्चे निकलने के बाद करीब दो से ढाई महीने महीने में ये बच्चे उडऩे लायक हो जाते हैं। कई बार देर से नेस्टिंग होने पर बच्चे उड़ नहीं पाते हैं और चंबल की बाढ़ का शिकार हो जाते हैं।500 से 600 के मध्य है संख्यास्वच्छ जल वाली चंबल नदी घडिय़ालों की तरह इंडियन स्कीमर के लिए भी जीवनदायिनी है। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के रेकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2011 में चंबल नदी में 224 इंडियन स्कीमर गिने गए थे। अब वर्ष 2022 में हुई गणना में इनकी संख्या 500 से 600 के मध्य बताई गई है। ये पक्षी साफ पानी के किनारे, गीली व भरपूर नमी वाले रेता के टापुओं पर वंश वृद्धि करता है। पानी को चीरकर करते मछली का शिकारइंडियन स्कीमर उड़ते हुए पानी में तैरती मछलियों का शिकार करता है। पानी की सतह पर आई मरी हुई मछलियों के अलावा ऐसी मछलियों का शिकार करता है, जो पानी में गंदगी बढ़ाती हैं। पानी को चीर कर इंडियन स्कीमर का शिकार करने का अंदाज अलग है। पानी को चीरने की कला में माहिर होने के कारण इसे पनचीरा नाम से भी जाना जाता है।शिकारी और जंगली जानवर पहुंचाते हैं नुकसानइंडियन स्कीमर अधिकतर रेता के टापुओं या चंबल किनारे किसी सुरक्षित जगह पर ही अंडे देते हैं। शिकारियों और जंगली जानवरों से इन्हें खास भय रहता है। आकर्षक लाल चोंच के कारण शिकारी भी इनका शिकार करने से नहीं चूकते हैं। वहीं, जंगली जानवर इनके अंडे या फिर नवजात को खा जाते हैं। इनका कहना हैविलुप्तप्राय: इंडियन स्कीमर चंबल नदी के स्वच्छ जल में रहना पसंद करता है। चंबल नदी क्षेत्र में रेता के टापुओं पर इंडियन स्कीमर पक्षी का प्रजनन हो रहा है, जो शुभ संकेत है। हालांकि धौलपुर के आसपास इसकी नेस्टिंग साइट नहीं दिखी है। - राजीव तोमर, मानद वन्यजीव प्रतिपालक, धौलपुर