scriptहादसों के हाइवे- नौ माह, 71 मौतें, 98 घायल,शिकायतों के बाद भी एनएचएआई नहीं दे रही ध्यान | Highway of accidents - NHAI not paying attention even after nine month | Patrika News

हादसों के हाइवे- नौ माह, 71 मौतें, 98 घायल,शिकायतों के बाद भी एनएचएआई नहीं दे रही ध्यान

locationधौलपुरPublished: Oct 22, 2020 05:45:02 pm

Submitted by:

Naresh

धौलपुर. हाइवे पर हादसों को रोकने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हो, लेकिन असल हकीकत कुछ और ही है। बीते नौ महीने पर में जिले से गुजरने वाले तीन हाइवों पर सड़क हादसों में 71 जनों की मौत हो चुकी है, जबकि 98 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके है। हादसों ने हाइवे पर एनएचएआई की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। स्थानीय स्तर पर कई बार लिखित व मौखिक शिकायतों के बाद भी हाइवे की व्यवस्थाओं की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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हादसों के हाइवे- नौ माह, 71 मौतें, 98 घायल,शिकायतों के बाद भी एनएचएआई नहीं दे रही ध्यान

हादसों के हाइवे- नौ माह, 71 मौतें, 98 घायल,शिकायतों के बाद भी एनएचएआई नहीं दे रही ध्यान
-धौलपुर से गुजरने वाले हाइवे पर साल-दर-साल बढ़ रहा हादसों का आंकड़ा
धौलपुर. हाइवे पर हादसों को रोकने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हो, लेकिन असल हकीकत कुछ और ही है। बीते नौ महीने पर में जिले से गुजरने वाले तीन हाइवों पर सड़क हादसों में 71 जनों की मौत हो चुकी है, जबकि 98 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके है। हादसों ने हाइवे पर एनएचएआई की व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। स्थानीय स्तर पर कई बार लिखित व मौखिक शिकायतों के बाद भी हाइवे की व्यवस्थाओं की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जल्द ही हाइवे मार्ग की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कराया गया तो बड़े हादसे होने की संभावनाएं भी बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि धौलपुर जिले से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते है। इसमें सबसे व्यस्तम राजमार्ग आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग-3 है। यह मार्ग जिले के करीब 26 किलोमीटर से होकर गुजरता है। मार्ग क्षेत्र में जिले के मनियां, सदर व कोतवाली थाना इलाके आते है। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग123 धौलपुर से भरतपुर को जोड़ता है। इस मार्ग पर सदर व सैप ऊ थाना इलाका से जुड़ा हुआ है। इसी क्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग-11 बी धौलपुर से करौली जिले के जोड़ता हुआ मार्ग है। यह मार्ग कोतवाली, बाड़ी सदर, सरमथुरा आदि थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। हाइवे पर हुए हादसों पर पुलिस की रिपोर्ट पर नजर डालें तो तीनों हाइवे पर इस वर्ष माह जनवरी से सितम्बर तक पुलिस थानों पर 121 मामलें दर्ज किए गए, जिनमें ें 71 जनों की मौत हो चुकी है, जबकि 98 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके है।
धौलपुर-करौली मार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं
आंकडों पर नजर डाले तो जिले से गुजरने वाले हाइवों में सबसे अधिक दुर्घटनाएं धौलपुर को करौली से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-11बी पर हुई है। राजमार्ग के करीब 75 किलोमीटर के क्षेत्र में बीते नौ महीने में 53 मामलें दर्ज किए गए है, जिसमें 29 जनों की मौत हो चुकी है एवं 40 जनें घायल हुए है। मार्ग पर होन वाले दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यहां किसी भी प्रकार के संकेतकों का नहीं होना और मार्ग का घुमावदार होना है। ऐसे में यहां गुजरने वाले वाहन अनियंत्रित रफ्तार से होकर गुजरते हुए और हादसों का शिकार हो जाते है। मार्ग पर किसी भी स्थान पर संकेतक नहीं लगे हुए है।
अव्यवस्थाओं से घिरा राष्ट्रीय राजमार्ग-3
देश के सबसे व्यस्तम राजमार्गों में से एक आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग-3 जिले के करीब 26 किलोमीटर से होकर गुजरता है। मार्ग पर दुर्घटनाओं के आंकडों पर नजर डाले तो बीते नौ माह में जिले के पुलिस थानों पर 45 दर्ज मामलों में 24 जनों की मौत हो चुकी है एवं 42 जने गंभीर रूप से घायल हो चुके है। मार्ग पर दुर्घटनाओं के होने का मुख्य कारण हाइवे क्षेत्र में जगह-जगह मनमानी के कटों का होना है। इसके अलावा हाइवे पर गुजरने वाले ओवरलोड वाहनों के कारण सड़क पर कई स्थानों पर गहरे गड्ढें भी बन गए है। हाइवे में कहीं भी रोड लाइटों की व्यवस्था नहीं है और ना ही हाइवे के आबादी क्षेत्र में कहीं भी लिंक रोडें बनी हुई है। मार्ग के आबादी क्षेत्र में अतिक्रमण भी हादसों का कारण बना हुआ है। इसके अलावा मार्ग पर जगह-जगह आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है, जिसके कारण यहां हर समय बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है।
हाइवे-123 पर भी बढ़ रहे हादसे
धौलपुर को भरतपुर जिले से जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 123 पर भी हादसों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। करीब 35 किलोमीटर तक जिला क्षेत्र में बीते नौ महीने में 23 दर्ज मामलों में 18 जनों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 जने गंभीर रूप से घायल हुए है। हाइवे मार्ग पर दुर्घटना का सबसे मुख्य कारण सड़क पर आवारा पशुओं का बना रहना है। इसके अलावा मार्ग पर कहीं भी मोड़ के लिए संकेतक नहीं है, जिसके कारण यहां वाहन अनियंत्रित रफ्तार के चलते दुर्घटना का शिकार हो जाते है।
दुर्घटनाओं से लें सबक
यदि हम जिले से गुजरने वाले राजमार्ग की ही बात करें और थोड़ी सावधानी और जागरूकता दिखाएं तो बड़े हादसों से बचा जा सकता है।
-हाईवे पर आवारा पशु दुर्घटना का बड़ा कारण हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करें ताकि सड़क पर पशु न आ पाएं, क्योंकि हाईवे पर तेज गति से चलते वाहनों के सामने अचानक पशु आने वाले दुर्घटना का बड़ा कारण बनते हैं। ऐसी स्थिति में वाहन चालक वाहन पर से नियंत्रण खो बैठता है और दुर्घटना हो जाती है।
– हाईवे से लगे गांवों में सड़क सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे ताकि लोग अचानक मुख्य सड़क पर न आ सकें।
– हाईवे पर रोड डिवाइडर तो होते हैं, लेकिन लोगों को भी अपनी प्रवृत्ति को बदलना होगा, क्योंकि थोड़ी-सी दूरी बचाने के लिए वे हाईवे पर गलत साइड में घुस जाते हैं, जो दुर्घटना का कारण बन जाता है।
-कई वाहन चालक रात के समय वाहनों को बेतरतीब खड़ा कर देते हैं, ऐसे में जिन स्थानों पर रात में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, वहां दुर्घटनाएं हो जाती हैं और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
-टोल नाकों पर भी लापरवाही साफ दिखाई देती है। वहां लोगों टोल के नाम पर लोगों से पैसा तो वसूला जाता है, लेकिन सुरक्षा के इंतजामों पर खास ध्यान नहीं दिया जाता। टोल नाकों के आसपास मंडराते हुए पशुओं को आसानी से देखा जा सकता है।
-हाइवे के कट पर संकेतकों का होना बहुत ही जरूरी है। हाइवे के गांवों के रास्ते सीधे हाइवे पर चढ़ते हैं। ऐसे हाइवे के हर गांव के रास्ते पर हाइवे पर चढऩे से पहले स्पीड ब्रेकर होने चाहिए, ताकि रफ्तार से होने वाले हादसे को रोका जा सके।
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