धौलपुर.मौसम विभाग के इस सीजन कम सर्दी और शीतलहर ना चलने के अनुमान ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। दिसंबर माह का एक सप्ताह निकल चुका है लेकिन लेकिन अभी तक सर्दी अपना रंग नहीं दिखा पाई है। अगर मौसम इसी तरह का शुष्क रहा तो किसानों पर यह भारी पड़ सकता है। कम सर्दी के कारण रबी फसल के बीज सही तरीके से अंकुरित नहीं हो पाते हैं। जिससे फसल की पैदावार पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
आईएमडी के अनुसार दिसंबर से फरवरी तक न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेंगे। इस दौरान शीतलहर के दिन भी कम होंगे। इससे गेहूं और चना जैसी फसलों की पैदावार पर असर पड़ सकता है। इस वक्त शहर में ज्यादातर सुबह और शाम की सर्दी देखने को मिल रही है। दोपहर में अच्छी धूप निकलने से सर्दी का भी अहसास चला जाता है। अधिकतम तापमान 28 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री बना हुआ है। रबी की फसल में सामान्य से अधिक तापमान रहने के कारण फसल की शुरुआती अवस्था में कीट व्याधि आने की संभावना बन सकती है। अमूमन नवंबर के मध्य तक सर्दी अपना असर दिखाना शुरू कर देती है, लेकिन अभी हाल यह है कि रात और सुबह सूखी सर्दी पड़ रही है। वातावरण में नमी नहीं है, इस वजह से अभी तक न तो कोहरा छाया है और न ही मावठ हुई है जबकि रबी की फसल को यह लाभ देने वाले हैं।
आयात करने की पड़ सकती है जरूरत भारत मौसम विज्ञान विभाग आईएमडी ने कहा था कि सर्दियों में सामान्य से ज्यादा तापमान रहेगा। यह दिसंबर से फरवरी तक रहेगा। इससे गेहूं, सरसों जैसी फसलों पर असर पड़ेगा। कम ठंड पडऩे से फसल की पैदावार कम हो सकती है। भारत को गेहूं आयात करना पड़ सकता है। दाल और तेल का आयात भी बढ़ सकता है। सरकार ने अभी तक गेहूं आयात नहीं किया है। वह किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। गेहूं की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं।
डीएपी की जगह एनपीके खाद का भी उपयोग कृषि अधिकारी ने बताया कि कई जगहों पर इन दिनों डीएपी खाद की कमी चल रही है। ऐसे में किसान डीएपी खाद उपलब्ध नहीं होने पर एनपीके खाद का भी उपयोग कर सकते हैं। गेहूं की बिजाई भी एनपीके से कर सकते हैं साथ में डीएपी नैनो से बीज का उपचार किया जा सकता है। जिन स्थानों पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है वहां किसान इस वैकल्पिक खाद का उपयोग कर सकते हैं।
आईएमडी ने इस बार ज्यादा सर्दी न पडऩे की कहा है। अच्छी सर्दी और कोहरा ना पडऩे से गेहूं की फसल पैदावार प्रभावित होती है। सरसों की फसल कम तापमान में भी होती है। इसका पैदावार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन आने वाले दिनों में आस है कि सर्दी जोर पकड़ेगी और कोहरा भी देखा जाएगा।
-हब्बल सिंह, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग बी सीजन की बुवाईफसल लक्ष्य प्राप्ति प्रतिशतगेहूं 52 हजार 53518 १०२.९२चना 1 हजार ८४७ ८४ सरसों 90 हजार ७३२७९ ८१.४२अन्य ८ हजार १९५९ २४ नोट: आंकड़े हेक्टेयर में दिए गए हैं।
सर्दी और कोहरा ना पडऩे से पड़ेगा असर -रबी की फ़सलों के लिए ठंड की ज़रूरत होती है। अगर सर्दी कम पड़े तो फसल की पैदावार कम हो सकती है। -रबी की फसलों के लिए मौसम अनुकूल होना जरूरी है। अगर तापमान में मौसम के मुताबिक गिरावट नहीं होती तो सरसों, चना, और रबी सीजन की फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
-रबी सीजन में एक डिग्री सेल्सियस तापमान बढऩे से प्रति हेक्टेयर गेहूं की फसल में 2.5 क्विंटल का नुकसान हो सकता है। -रबी की फसलों में नमी कायम करना बहुत जरूरी है। अगर तापमान में गिरावट आती है, तो पाला पड़ सकता है। पाला पडऩे से फसल के पौधों में जाइलम और फ्लोएम संरचनाएं बाधित हो जाती हैं। इससे फसल में पानी जमने लगता है और फसल के विकास पर विपरीत असर पड़ता है।