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भगवान श्री कृष्ण ने धौलपुर में स्थित इस गुफा में कराया था कालियावन को भस्म

locationधौलपुरPublished: Aug 12, 2020 12:16:52 pm

Submitted by:

Naresh

धौलपुर. मथुराधीश कृष्ण ने धौलपुर स्थित श्यामाश्चल की गुफा में ही कालियावन को महाराज मुचुकुण्ड द्वारा भस्म कराया था। यह गुफा आज भी धौलपुर में स्थित है। इसका उल्लेख विष्णु पुराण व श्रीमद्भागवत की दसवें स्कंध के पंचम अंश 23वें व 51 वें अध्याय में मिलता है। इसके अनुसार त्रेता युग में महाराजा मांधाता के तीन पुत्र हुए।

 Lord Shri Krishna had made Kaliyavan devoured in this cave located in Dhaulpur

भगवान श्री कृष्ण ने धौलपुर में स्थित इस गुफा में कराया था कालियावन को भस्म

भगवान श्री कृष्ण ने धौलपुर में स्थित इस गुफा में कराया था कालियावन को भस्म
धौलपुर. मथुराधीश कृष्ण ने धौलपुर स्थित श्यामाश्चल की गुफा में ही कालियावन को महाराज मुचुकुण्ड द्वारा भस्म कराया था। यह गुफा आज भी धौलपुर में स्थित है। इसका उल्लेख विष्णु पुराण व श्रीमद्भागवत की दसवें स्कंध के पंचम अंश 23वें व 51 वें अध्याय में मिलता है। इसके अनुसार त्रेता युग में महाराजा मांधाता के तीन पुत्र हुए। इनमें अमरीष, पुरू और मुचुकुण्ड। युद्ध नीति में निपुण होने से देवासुर संग्राम में इन्द्र ने महाराज मुचुकुण्ड को अपना सेनापति बनाया। युद्ध में विजय श्री मिलने के बाद महाराज मुचुकुण्ड ने विश्राम की इच्छा प्रकट की। देवताओं ने वरदान दिया कि तो तुम्हारे विश्राम में खलल डालेगा। वह तुम्हारी नेत्र ज्योति से वहीं भस्म हो जाएगा। देवताओं से वरदान लेकर महाराज मुचुकुण्ड श्यामश्चल पर्वत (जहां अब मौनी सिद्ध बाबा की गुफा है) की एक गुफा में आकर सो गए।
इधर, जब जरासंध ने कृष्ण से बदला लेने के लिए मथुरा पर 18वीं बार चढ़ाई की तो कालियावन भी युद्ध में जरासंध का सहयोगी बनकर आया। कालियावन महर्षि गाग्र्य का पुत्र तथा म्लेच्छ देश का राजा था। वह कंस का भी परम मित्र था। भगवान शंकर से उसे युद्ध में अजय का वरदान भी मिला था। भगवान शंकर के वरदान को पूरा करने के लिए कृष्ण रण क्षेत्र छोडकऱ भागे। इसलिए ही कृष्ण को रणछोड़ भी कहा जाता है। कृष्ण को भागता देख कालियावन ने उनका पीछा किया। मथुरा से करीब सौ किलोमीटर दूर तक आकर श्यामाश्चल पर्वत की गुफा में आ गए। जहां पर महाराज मुचुकुण्ड सो रहे थे। कृष्ण ने अपनी पीताम्बरी मुचुकुण्ड महाराज के ऊपर डाल दी और खुद एक चट्टान के पीछे छिप गए। कालियावन भी पीछा करता हुआ उसी गुफा में आ गया। दंभ में भरे कालियावन ने सो रहे मुचुकुण्ड महाराज को कृष्ण समझकर ललकारा। मुचुकुण्ड महाराज जगे और उनकी नेत्र की ज्योति से कालियावन वहीं भस्म हो गया। यहां पर भगवान कृष्ण ने मुचुकुण्ड को विष्णुरूप के दर्शन दिए। इसके बाद मुचुकुण्ड महाराज ने कृष्ण के आदेश से पांच कुण्डीय यज्ञ किया। यज्ञ की पूर्णाहूति पर देवछठ पर विशाल मेला भरता है। जिसमें कई प्रदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इस बार यह मेला कोरोना के कारण स्थगित कर दिया गया है।
स्टोरी, नरेश लवानियां

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