इस पर वहां मौजूद एक ग्रामीण तपाक से बोला कि मैडम, यह तो वाल्मीक समाज से हैं, इससे कोई भी पानी नहीं पीएगा। इस पर नाराज हुई कलक्टर ने उसे जमकर लताड़ा और वहां से भगा दिया। साथ ही महिला श्रमिक को बुलाया और श्रमिकों को पानी पिलाने की बात कही। इस पर उसने कहा कि मैडम, मुझसे कोई पानी नहीं पीएगा। इस पर कलक्टर ने खुद उसके हाथ से पानी पीया और छुआछूत नहीं करने का संदेश दिया। साथ ही पानी पिलाने के लिए लगाए हुए हट्टे-कट्टे आदमी को नरेगा कार्य लेने के निर्देश दिए।
अन्य महिलाओं ने भी महिला श्रमिक के हाथ से पानी पीने में कोई परेशानी नहीं बताई। इस दौरान उन्होंने मस्टररोल जांची। जिसमें 130 श्रमिकों के नाम थे, जबकि मौके पर 71 श्रमिक कार्य करते हुए मिले। शेष की अनुपस्थित पहले से ही लगी हुई मिली। इसी प्रकार गांव महू गुलावली में भी नरेगा कार्य का निरीक्षण किया। यहां पर कलक्टर ने पानी पिलाने के लिए आदमी को हटवा कर महिला श्रमिक को जिम्मेदारी दी। इस दौरान कलक्टर ने महिला श्रमिकों के बच्चों के लिए आया रखने के निर्देश दिए। इस दौरान सीईओ शिवचरण मीणा, विकास अधिकारी सुरेश चंद बड़ोदिया मौजूद थीं।
इनका कहना है:
नरेगा कार्य निरीक्षण के दौरान पानी व्यवस्था की जानकारी की, तो हट्टा-कट्टा आदमी लगा हुआ था, जबकि बच्चे वाली महिला कार्य कर रही थी। जब उससे पानी क्यों नहीं पिलाने की बात कही, तो बताया कि वह वाल्मीकि समाज से हैं। इस पर उसके हाथ से मैंने खुद पानी पिया और उसे ही पानी पिलाने के कार्य पर लगवाया गया। भेदभाव करना अच्छी बात नहीं है।
नेहा गिरी, जिला कलक्टर, धौलपुर।