धौलपुर

शहर की कई कालोनियां जलमग्न, लोग पानी में गिर कर हो रहे चोटिल…. देखें तस्वीरें

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Published: July 31, 2022 08:07:23 pm
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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

फ़ोटो, नरेश लवानियां

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

फ़ोटो, नरेश लवानियां

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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धौलपुर. आजादी के दशकों बाद भी शहर के कुछ इलाकों के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में गोशाला के पीछे नैरोगेज रेलवे ट्रेक के पास बसी नारायण विहार, अंबेडकर नगर, खोसला विहार तथा हुंडावाल नगर के कुछ हिस्सों में बसे करीब पांच सौ घरों के लोग जलभराव के कारण परेशान हैं। हालात यह हैं कि हजारों लोग घरों में ही कैद रहने को मजबूर हैं। इन इलाकों में मकान चारों तरफ से पानी से घिरे हुए हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए बाहर आना-जाना जान हथेली पर रखने से कम नहीं है। पानी का स्तर बढ़ रहा है और निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।

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