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जब संस्था प्रधानों को पहले से ही पता था तो ऐसे निरीक्षण का क्या औचित्य

locationधौलपुरPublished: Aug 11, 2016 01:13:00 pm

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वर्ष भर समय-समय पर विद्यालयों के किए जाने वाले औचक निरीक्षण में पोषाहार में भले ही कमी मिलती रहीं हो, लेकिन अधिकारियों द्वारा बुधवार को किए गए सघन निरीक्षण के दौरान अधिकांश विद्यालयों में स्थिति संतोषजनक पाई गई है

वर्ष भर समय-समय पर विद्यालयों के किए जाने वाले औचक निरीक्षण में पोषाहार में भले ही कमी मिलती रहीं हो, लेकिन अधिकारियों द्वारा बुधवार को किए गए सघन निरीक्षण के दौरान अधिकांश विद्यालयों में स्थिति संतोषजनक पाई गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण विद्यालयों के संस्था प्रधानों को पूर्व में ही सघन निरीक्षण करने की जानकारी मिलना है।
वहीं इसके लिए निरीक्षकर्ता अधिकारियों को बकायदा प्रशिक्षण भी दिया गया। इस कारण पोषाहार की गुणवत्ता में शायद ही किसी विद्यालय में कमी मिली हो। हां, अगर कमी मिली है तो प्रशासनिक एवं विभागीय स्तर की हैं, जिनका निराकरण भी स्वयं शिक्षा अधिकारियों को ही करना था।
जिले भर में बुधवार व गुरुवार को विद्यालयों में पोषाहार वितरण सहित विभिन्न भौतिक सुविधाओं की जांच करने के लिए अधिकारियों की ड्यूटी तय की थी, लेकिन इस निरीक्षण का विभिन्न माध्यमों से विद्यालयों के संस्था प्रधानों को पता चल गया। इस कारण सभी विद्यालयों में पोषाहार निर्धारित मीनू के अनुसार तथा गुणवत्तापूर्ण बनाया गया। साथ ही पोषाहार को भी स्वयं अध्यापक तथा अभिभावकों से चखवाया गया।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार बुधवार व गुरुवार को निरीक्षण के लिए जिला कलक्टर से लेकर सभी जिला व ब्लॉक स्तरीय विभागीय अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई। इसके तहत प्रथम दिन विद्यालयों में अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचे, लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक विद्यालयों को 10 में से 7 अंक या इससे अधिक अंक मिले। इस कारण उनमें संतोषजनक स्थिति मिली।
कुक कम हेल्पर को नहीं मिला मानदेय

निरीक्षण के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि अधिकांश विद्यालयों में कुक कम हेल्पर को मई 2016 के बाद का भुगतान नहीं हो पाया है। इससे उन्हें आर्थिक तंगी भुगतनी पड़ रही है। इसका कारण है कि विभाग की ओर से अभी तक बजट उपलब्ध नहीं कराया गया।
कमियां मिली, जिनकी पूर्ति विभाग को करनी है

निरीक्षण के दौरान कुछ भौतिक सुविधाओं में कमी भी मिली है, लेकिन उनकी कमी को शिक्षा विभाग के स्तर पर भी पूरा किया जाना है। मसलन किसी विद्यालय में रसोई घर का निर्माण नहीं है तो किसी में रसोईघर क्षतिग्रस्त है। वहीं किसी विद्यालय में हैण्डपम्प का पानी पीने योग्य नहीं है तो किसी में दरी पट्टी नहीं है।
वहीं अमूलपुरा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में निरीक्षणकर्ता जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता आरबी मंगल ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने लिखा है कि विद्यालय के अध्यापकों में कॉमनसेंस की कमी है। साथ ही कुछ नया करने की सोच नहीं है।
स्वेतसिंह मेहता जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक धौलपुर ने बताया कि निरीक्षण की सूचना किसी भी विद्यालय के संस्था प्रधान को नहीं दी गई थी। हालांकि आठ अगस्त को निरीक्षणकर्ता अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। हो सकता है, सूचना पहुंच गई हो, लेकिन फिर से इसमें सुझाव लेकर सुधार किया जाएगा।
एक विद्यालय ऐसा भी…

जिले भर में बुधवार को अधिकारी पोषाहार गुुणवत्ता की जांच करने विद्यालय पहुंचे, लेकिन राजकीय प्राथमिक विद्यालय गेंदूपुरा में सत्र के आरंभ से ही पोषाहार नहीं पकाया जा रहा है। यह खुलासा हुआ है तहसीलदार बृजेश मंगल की ओर से किए गए निरीक्षण में।
तहसीलदार ने बताया कि निरीक्षण में सामने आया कि विद्यालय में मात्र दो छात्रों का नामांकन है, वे भी शिक्षा सत्र के आरंभ से ही नहीं आ रहे हैं। वहीं दो शिक्षक तैनात हैं, लेकिन निरीक्षण के दौरान एक अध्यापक अनुपस्थित मिला। छात्रों के नहीं आने के कारण पोषाहार ही नहीं बनाया जा रहा है। तहसीलदार ने बताया कि उक्त निरीक्षण की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है।
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