जल निकासी को लेकर बने नाले हुए लापता शहर में करीब 1980 से पहले जल निकासी के लिए बाड़ी रोड पर 220 केवी से जगदीश तिराहे के पास चुंगी नाका दगरा से होते हुए नाला चोपड़ा मंदिर की तरफ जाता था। यह नाला करीब 160 फीट चौड़ा था। इस नाले में पुरानी छावनी और झोर की तरफ से पानी आता था जो बिना किसी रुकावट के जगदीश तिराहे होकर निकल जाता था। अब यह नाला सकरा हो गया है। वहीं, भूमिगत निकल रहे नाले की सफाई तक नहीं हुई है। जिससे पानी निकासी नहीं हो पा रही है।
नहर के बचे अवशेष, कॉलोनियों में घुस रहा पानी इस तरह सैंपऊ रोड पर दारा सिंह नगर, हुण्डावाल रोड समेत अन्य कॉलोनियों में जलभराव की स्थिति अनदेखी की वजह से पनपी है। बरसाती पानी के लिए यहां सिंचाई विभाग की नहर थी जिसके अब यहां अवशेष ही रह गए हैं। इसकी गवाही पुरानी नहर की पुलिया दे रही हैं। कुछ स्थानों पर तो नहर सुकड़ गई है। वहीं, बहाव क्षेत्र में हुए कथित अतिक्रमण से पानी निकासी को स्थान नहीं मिल पा रहा है। नतीजा बरसाती पानी कुछ समय पहले बसी इन कॉलोनियों में घुस रहा है। इन कॉलोनियों में भी डे्रनेज के समुचित साधन नहीं होने से पानी निकल नहीं पा रहा है।
रेकॉर्ड देखने से बचते हैं अधिकारी, केवल खानापूर्ति बता दें कि बहाव और जलभराव क्षेत्र में जमीन आवंटित नहीं हो सकती। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं। इसके बाद भी शहर में कई बहाव क्षेत्र और जलभराव स्थलों पर कथित कब्जों ने से जलभराव की समस्या पैदा कर दी। खुद जिला प्रशासन साल 2018 कराए सर्वे में 66 जगहों पर अतिक्रमण माना लेकिन इस पर कार्रवाई अभी तक अमल में नहीं आ पाई। गत दिनों भी शहर की मित्तल कॉलोनी में भी नहरी क्षेत्र पर कथित तौर पर रास्ता निकालने का मामला सामने आया। पहले अफसर आना-कानी करते दिखे लेकिन जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी के सख्त रुख के बाद राजस्व और सिंचाई विभाग की टीम ने नहर की जगह को खोज डाला। बता दें कि अधिकारी चाहे तो राजस्व अभिलेख, जमाबंदी और खसरा नम्बर का मिलान कर किए अतिक्रमण का बता लगा सकते हैं।