गढ़ी टिंडावली निवासी रामखिलाड़ी ने बताया कि उन्होंने जनवरी 2019 में गांव के ही श्रीभगवान, शशि, रामप्रकाश, रामवती और खचेरा के खिलाफ फर्जीवाड़ा कर वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत करा लेने की शिकायत उपखंड अधिकारी को दी थी। जांच में यह सभी पूरी तरह से अपात्र पाए गए, जबकि यह सभी वर्ष 2013 से ही फर्जी तरीके से वृद्धावस्था पेंशन ले रहे थे।
जांच के बाद 15 दिसंबर 2021 को विकास अधिकारी राजाखेड़ा ने इनसे इनको दी गई पेंशन की राशि 2 लाख 33 हजार 750 की राशि 18 फीसदी ब्याज सहित वसूली के आदेश भी जारी कर दिए, लेकिन इनसे अब तक राशि वसूल नहीं की गई है। न ही इनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई है, जिससे अन्य फर्जी दस्तावेजों से पेंशन व राजकीय सुविधाओं का लाभ उठाने वालों को सबक मिल सके। वही अंबरपुर निवासी प्रेम सिंह ने भी बताया कि उसने 3 वर्ष पूर्व शिकायत दर्ज कराई थी कि राजाखेड़ा के हीरा सिंह एवं भूरी देवी फर्जीवाड़ा कर अपात्र होने के बाद भी सामाजिक सुरक्षा की वृद्धावस्था पेंशन वसूल कर रहे हैं।
लंबी जांच के बाद इनको भी दोषी पाया गया। इनसे भुगतान की गई पेंशन राशि 88 हजार 500 रुपए की वसूली तो हो गई, लेकिन ब्याज की राशि 19 हजार 913 रुपए की वसूली आदेश जारी किए गए, लेकिन वसूली नहीं की गई है। फर्जीवाड़े के प्रकरण सामने आने के बाद सभी स्वीकृत पेंशन प्रकरणों की भी गहन जांच की मांग उठने लगी है। लोगों का आरोप है कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में अपात्र लोगों ने फर्जी दस्तावेजों से पेंशन स्वीकृत करा ली है।