वहीं आम के खपत की बात की जाए तो शहर में प्रतिदिन 18 से 20 टन आम की खपत हो रही है। यानी लगभग 20 टन दशहरी आम शहरवासी अपने हलक से नीचे उतार रहे हैं। गर्मी के सीजन में फलों के राजा आम की आवक प्रारंभ हो जाती है। जून माह से दशहरी की मांग सबसे ज्यादा रहती है। क्योंकि जून माह से दशहरी आम की फसल बाजारों में आती है। आम के मौसम में दशहरी का सीजन करीब डेढ़ से दो माह का रहता है।
इस दौरान करीब 1200 मैट्रिक टन से अधिक आम की आवक मंडी में रहती है। आम के सीजन में फल मंडी में अन्य फलों की डिमांड बहुत कम हो जाती है। इस बार मण्डी में रेट भी बेहतर खुला है। थोक मंडी में दहशहरी आम की कीमत आम की क्वालिटी के ऊपर निर्धारित करती है। जिनमें 30-35 और 40 रुपए किलो तक के भाव हैं। दुकानदार और ठेले वाले इन आमों को 50 से 60 रुपए किलो में बेच रहे हैं। शुरुआती रेट बेहतर होने से कारोबारी कह रहे हैं कि माल भले ही थोड़ा कम उतर रहा है लेकिन गुणवत्ता बेहतर होने के कारण दशहरी की डिमांड अच्छी है।
बबलू फू्रट कंपनी के संचालक बबलू परमार का कहना है कि दशहरी आम की मांग सदा बनी रहती है। और इस आम की अन्य आमों के मुकाबले ज्यादा डिमांड रहती है। जिस कारण थोक मंडी में प्रतिदिन 20 टन दशहरी आम की आवक हो रही है। अभी यह शुरुआती दिन हैं। जैसे मांग बढ़ती जाएगी तो आम की आवक भी बढ़ती जाएगी। बबलू परमार कहते हैं कि शहर में दशहरी की खपत भी अच्छी है। थोक मंडी से प्रतिदिन 20 टन के आसपास ही आम की खरीद हो रही है। जो कि यह दिखाता है कि दशहरी आम लोगों की खास पसंद बना हुआ है।
मिठास के कारण बाजार में दशहरी का दबदबा
जून माह के प्रारंभ होते ही शहर के बाजार में दशहरी आ बड़ी मात्रा में आ रहा है। जब आम की आवक ज्यादा हो जाती है तो दाम भी घटकर 30 से 40 रुपए प्रति किलो हो जाता है। ग्राहक ज्यादातर अन्य आमों के मुकाबले दशहरी आम को पसंद कर रहे हैं। क्योंकि अपनी मिठास के कारण भी बाजार में दशहरी आम का ही दबदबा कायम रहता है।
तोता परी और बादामी भी है उपलब्ध
बाजार में बादामी आम और तोता परी की वैरायटियां भी उपलब्ध हैं। बादामी आम बड़े आकार का होने के कारण तौल में कम ही चढ़ पाता है। बादामी आम 60 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं। वहीं तोता परी आम जो अपने लाल रंग के लिए प्रसिद्ध है उसे 70 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है।
पाल और डाल में अंतर
टपका हुआ आम या फिर तोडक़र उसे केमिकल के सहारे पकाया जाता है। उसे पाल वाली दशहरी के नाम से जाना जाता है। जब तक आम में पूरी तरह से जाली नहीं पड़ जाती है तब तक लोग स्वाद के लिए इसे प्रयोग करते हैं। डाल वाली दशहरी सीधे पेड़ से तोड़कर साफ-सफाई कर उसे बाजार में सीधे लाया जाता है। इसकी डिमांड ज्यादा होती है।