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फिजां में जहरीली हवा , फिलहाल प्रदूषण पर नियंत्रण के नहीं आसार

locationधौलपुरPublished: Oct 30, 2020 06:18:43 pm

Submitted by:

Naresh

राजाखेड़ा. वायु प्रदूषण का कहर जहां राजाखेड़ा के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है, वहीं इससे राहत के आसार भी कहीं दिखाई नही दे रहे। न ही प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है। ऐसे में क्षेत्र के नागरिकों में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है।

 Poisonous air in Fijian, currently no control over pollution

फिजां में जहरीली हवा , फिलहाल प्रदूषण पर नियंत्रण के नहीं आसार

फिजां में जहरीली हवा , फिलहाल प्रदूषण पर नियंत्रण के नहीं आसार

यह लुटियन जोन नहीं, राजाखेड़ा है…अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी

हाल फिलहाल प्रदूषण पर नियंत्रण के नहीं आसार
राजाखेड़ा. वायु प्रदूषण का कहर जहां राजाखेड़ा के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है, वहीं इससे राहत के आसार भी कहीं दिखाई नही दे रहे। न ही प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है। ऐसे में क्षेत्र के नागरिकों में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है।
क्यों बिगड़ रहे हालात
प्रशासनिक अनदेखी के चलते क्षेत्र में उग आए वैध और अवैध भट्टा उद्योग के व्यवसायी अधिक लाभ के चक्कर में लाखों की आबादी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। लेकिन अब तक इनकी न गहन जांच हुई न कार्यवाही, जबकि भट्टों में कोयले की जगह खुलेआम हजारों टन सरसों की तूड़ी झोंकी जा रही है। जो लागत में कोयले के मुकाबले मात्र बीस फीसदी होती है, लेकिन प्रदूषण की मात्रा को 80 फीसदी तक बढ़ा देती है। ऐसे में भट्टों की चिमनियों से निकलने वाला काला ओर कच्चा धुआं वातावरण में नीचे की परतों में एकत्रित होता रहता है। नमी के चलते लोगों की सांसों में घुटता रहता है। इसके अलावा प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा सभी ईंट भट्टों के लिए जिगजैग तकनीक आवश्यक की गई है, जो प्रदूषण नियंत्रण में कारगर है। लेकिन प्रशासनिक अक्षमता के चलते भट्टा व्यवसायी इस महंगी तकनीक को इस्तेमाल न कर पुरानी चिमनियों से ही मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
नहीं होती कार्यवाही

लगभग एक दशक पूर्व धुआं उगल रहे नियम विरुद्ध ईंट भट्टों की जांच की गई और तत्कालीन तहसीलदार द्वारा एक दर्जन से अधिक अवैध ईंट भट्टों में फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों से पानी भरवाकर बंद करा दिया गया था, लेकिन इस कार्यवाही के परिणामस्वरूप उनको तबादला का पुरुस्कार मिला, जिसके बाद कोई भी अधिकारी रसूखदार भट्टों के विरुद्ध कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पाया। परिणामस्वरूप हौसले इतने बुलंद हो गए कि वे किसी भी अनियमित कार्य को बेहिचक करने लगे।
लगातार चढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ.
पिछले एक पखवाड़े से हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों की मात्रा दोगुनी से अधिक हो गई है। जो बढ़ती ठंडक की नमी और बढ़ते धुंए के साथ ओर भी बढ़ते जाएंगे। इन हालात में लोगों की सांस में घुटन भी बढ़ेगी। अस्थमा व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए जीवन बेहद कठिन हो जाएगा। स्वस्थ व्यक्तियों की सांसों पर भी खतरा बढ़ता ही चला जाएगा, लेकिन यह राजाखेड़ा है, यहां जनता की सांसों की रखवाली की जिम्मेदारी खुद जनता की है। ये आम और कमजोर तबके के लोगों का शहर है। दिल्ली का लुटियन जोन नहीं, जो प्रदूषण बढऩे से सरकारों को खतरा होने लगे। बल्कि यहां तक तो सरकारों की नजर भी नहीं पहुंच पाती।
इनका कहना है
अंधेर नगरी चौपट राजा, किसी को हमारी पीड़ा की फिक्र नहींहै। सुबह छतों पर काली परत प्रदूषण के चलते जम जाती है। ये तो दिख जाती है, लेकिन जो परत फेफड़ों में जम रही है, वह लोगों की जान ले लेगी।
प्रतिभा गृहिणी, राजाखेड़ा।
इनका कहना है
अधिकांश भट्टा मालिकों ने तो आगरा की पॉश कॉलोनियों में अपने घर बना रखे है, क्योंकि वे अपने परिवारों को इस खतरनाक माहौल में नहीं रहने देना चाहते। लेकिन यहां लाखों लोगों की जान का खतरा बढ़ता जा रहा है। उसका जिम्मेदार कौन होगा।
प्रमोद नागरिक, राजाखेड़ा
इनका कहना है
हम नहीं चाहते कि भट्टे बन्द हों। यह रोजगार का बड़ा माध्यम है। बस इतना चाहते है कि मुनाफे के साथ जनता की सेहत का ध्यान रखें। न्यायालय के निर्देशों का पालन करें, जिससे प्रदूषण पर लगाम लग जाए, क्योंकि ये बन्द हुए तो बाजारों में पूंजी प्रवाह रुक जाएगा।
राजीव अलापुरिया, व्यापारी नेता राजाखेड़ा।

लोगों को जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए। अगर निकलना भी पड़े तो अच्छी गुणवत्ता का मास्क जरूर प्रयोग करें। ये प्रदूषण के साथ कोरोना से भी मुक्ति दिलाएगा। लेकिन बढ़ता प्रदूषण खतरे तो पैदा कर ही रहा है।
डॉ. धीरेंद्र दुबे, ब्लॉक मुख्य चिकित्साधिकारी राजाखेड़ा।

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