सरमथुरा. सरमथुरा को पंचायत समिति का दर्जा मिले दो साल हो चुके हैं लेकिन, राजनीतिक संरक्षण के चलते कर्मिकों की हठधर्मिता के कारण दूर-दराज से आने वाले ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत समिति प्रधान खुद जिलास्तर और राज्यस्तर पर इस संबंध में शिकायतें कर चुकीं हैं लेकिन, हालात जस के तस हैं। प्रधान द्रोपदी देवी का कहना है कि विकास अधिकारी सहित अन्य कर्मचारी महीनों तक पंचायत समिति में नहीं आते हैं। जिससे लोगों के कामों में बहुत दिक्कतें आ रही हैं। राजनीतिक संरक्षण के चलते कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे में उनके हौसले बुलंद हैं। कई अधिकारी-कर्मचारी महीने में एक बार हाजिरी लगा कर चले जाते हैं। विकास अधिकारी तो यहां बैठते ही नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास अधिकारी दो माह से यहां आए ही नहीं हैं।
परेशान होते हैं डांग के लोग सरमथुरा पंचायत समिति में डांग का बहुत बड़ा क्षेत्र आता है। इन दूर-दराज के गांवों में आवागमन के साधनों का भी अभाव है। क्षेत्र के मदनपुर, झिरी, शंकरपुर, गोलारी सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगो को अधिकारियों की अनुपस्थिति में मायूस होकर लौटना पड़ता है।
प्रधान ने लगाए आरोप प्रधान ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक शह पर विकास अधिकारी अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। पंचायत समिति में पता नहीं कब तो आते हैं कब मीटिंग हो जाती हैं। इसकी सूचना विकास अधिकारी उन्हें भी नहीं देते हैं।
मंगलवार को बैठक में भी नहीं पहुंचे बीडीओ पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने वीसी की तैयारी के लिए कार्मिकों की एक आवश्यक बैठक 7 जून दोपहर को बुलाई थी। जिसका उन्होंने कार्यालय पत्र भी निकाला था। बैठक में अन्य कार्मिक तो पहुंच गए लेकिन, खुद विकास अधिकारी नहीं पहुंचे।
इनका कहना है मैं दलित महिला प्रधान हूं। निर्दलीय व निर्विरोध प्रधान बनी हूं, इसलिए परेशान किया जा रहा है। जब विकास अधिकारी आता ही नहीं है तो काम कैसे हो। मैं जिला कलक्टर, सीईओ जिला परिषद एवं शासन सचिव पंचायती राज और मुख्य सचिव तक गुहार लगा चुकी हंू लेकिन, कहीं सुनवाई नहीं हुई।
- द्रोपदी देवी, प्रधान, पंचायत समिति, सरमथुरा मैं सप्ताह एक या दो बार सरमथुरा आता हूं। मंगलवार को मैंने ग्राम पंचायत सचिवों की बैठक बुलाई थी लेकिन, धौलपुर में बैठक होने के कारण मैं उसमें उपस्थित नहीं हो सका।
- रामजीत, कार्यवाहक विकास अधिकारी, सरमथुरा