- धौलपुर कारागृह ने जून माह से ही शुरू की कवायद धौलपुर. जेल में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों को और अच्छी क्वालिटी का खाना मिलना शुरू हो गया है। जेल मुख्यालय ने ठेका व्यवसाय प्रथा बंद करते हुए सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर धौलपुर जेल प्रशासन ने जून माह से ही कार्य प्रारंभ कर दिया है। धौलपुर जिला कारागृह में वर्तमान में 261 बंदी हैं। हालांकि, उपभोक्ता भंडार से सामग्री लेने में जेल प्रशासन का खर्च पहले से डेढ़ से दो गुणा खर्च बढ़ गया है। जेल प्रशासन राशन, सभी प्रकार की दालें, खाद्य सामग्री सिर्फ सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही खरीद रहा है। इसमें मसाले भी एगमार्क क्वालिटी के हैं। दरअसल, पुलिस महानिदेशक जेल भूपेंद्र दक के आदेशानुसार राज्य की सभी जेल में सभी प्रकार की खाद्य सामग्री राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ कॉनफैड से ही क्रय की जानी हैं। सामग्री की खरीद जेल मुख्यालय की ओर से अनुमोदित दरों के अनुसार हो रही है।पहले होता था ठेकापहले जेल मुख्यालय ठेका करता था। इसमें निजी ठेकेदार हिस्सेदारी लेते थे, लेकिन अब सरकार ने सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार से खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए हैं। जेल प्रशासन बकायदा बंदियों के अनुसार डिमांड भेज रहे हैं, फिर सहकारी उपभोक्ता एक महीने का राशन उपलब्ध करा रहा है। खाद्य सामग्री को सही ढंग से पैकिंग कर उन्हें सुरक्षित जेल तक पहुंचाने का लिए लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार को भी पाबंद किया गया है।हर चीज का समय तय जेल में बंद बंदियों का सुबह से लेकर शाम तक का चाय से लेकर नाश्ता ओर भोजन का समय निर्धारित है। सुबह 7 बजे चाय और नाश्ता दिया जाता है। नाश्ते में सात दिनों में अलग-अलग तरह का नाश्ता जैसे पोहा, उपमा, चने आदि दिए जाते हैं। इसके बाद खाना दिया जाता है। खाने में गेहूं की रोटी, दाल एवं सब्जी दी जाती है, जो की सातों दिन अलग-अलग होती है। इसके बाद दोपहर 3 बजे सभी बंदियों को उबले हुए चने तथा शाम को फिर से खाना दिया जाता है।भोजन की गुणवत्ता में हुआ सुधारसहकारी उपभोक्ता से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता अधिक होती है। पहले ठेकेदार डाइट के हिसाब से राशन लाकर देते थे। ऐसे में बंदियों की डाइट भी फिक्स हो जाती थी। मुनाफा कमाने के फेर में ठेकेदार क्वालिटी से भी समझौता कर लेते थे।डेढ़ से दो गुणा बढ़ी दरसहकारी उपभोक्ता भंडार से खाद्य सामग्री लेने में जेल का खर्च पहले से डेढ़ से दो गुणा बढ़ गया है। पहले टेंडर प्रक्रिया में प्रतिद्वंद्विता के चलते ठेकेदार दर तय करते थे। पहले 29 से 30 रुपए की डाइट पड़ती थी। जिसमें दो समय का भोजन, चाय, नाश्ता और हर रविवार को खीर या हलवा। उपभोक्ता भंडार बाजार दर से जेल प्रशासन को सामग्री देता है। ऐसे में अब सहकारी भंडार से लेने में यह खर्च लगभग डेढ़ से दो गुणा बढ़ गया है।जांच करके ही लेनी होगी खाद्य सामग्रीजेल मुख्यालय के आदेशों के अनुसार जेल में आने वाले तेल, घी, दाल, मसाले सहित अन्य खाद्य सामग्री उच्च गुणवत्ता वाले, एफएसएसआई मानकों के अनुसार और एगमार्क के ही भेजे जाएंगे। सभी जेलर और उप कारापाल को आदेश हैं कि जेल में खाद्य सामग्री आने से पूर्व वे सभी इनकी जांच करेंगे और उसके बाद ही खाने के लिए इनका प्रयोग किया जाएगा।सहकारी उपभोक्ता को बढ़ावा देनाजेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों के भोजन के लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए हैं। धौलपुर कारागृह में जून माह से ही सहकारी उपभोक्ता भंडार से सामग्री लेना शुरू कर दिया है। धौलपुर जिला कारागृह में वर्तमान में 261 बंदी हैं।- रामावतार शर्मा, जेल अधीक्षक, जिला कारागृह, धौलपुर