राजस्थान के इस प्रसिद्ध मार्बल ने बढ़ाई नए संसद भवन की शान
पत्थर की जांच-पड़ताल के बाद मिली हरी झण्डी
सरमथुरा क्षेत्र के पत्थर को चुनने के लिए पिछले दिनों दिल्ली के सीपीडब्ल्यू व टाटा कंपनी के आला अधिकारियों का दल ने कई बार दौरा किया। अधिकारियों ने पत्थर की जांच पड़ताल की। इसके बाद कुछ तकनीकी शर्तों के साथ रेड स्टोन को हरी झण्डी मिली।
सरमथुरा की फर्म ने पत्थर किया सप्लाई
पत्थर व्यवसायी फर्म सरमथुरा स्टोन कंपनी की ओर से नवीन संसद भवन के लिए पत्थर तैयार करके भेजा था। कंपनी के निदेशक सतीश गर्ग ने बताया कि दिल्ली से आई टीम की ओर से मांगे गए पत्थर को उस हिसाब से तैयार किया गया। इसके बाद कुछ कटिंग मशीनें विदेश से भी मंगाई थी। जिसके बाद पत्थर को फर्म पर तैयार करा पेटियों में पैक कर दिल्ली भिजवाया गया। इस संसद भवन में करीब 380000 वर्ग फुट 40 एमएम मोटाई का लाल व सफेद पत्थर इस्तमाल हुआ है।
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इन इमारतों की आज भी बढ़ा रहा शोभा
वर्तमान में जो संसद भवन है, उसमें भी सरमथुरा क्षेत्र का प्रसिद्ध लाल व सफेद पत्थर लगा हुआ है। हालांकि, उस समय पत्थर की आज की तरह घिसाई व अन्य आकर्षक तैयारियां नहीं हो पाती थी इसीलिए रफ नेचुरल के रूप में यह पत्थर पुरानी संसद भवन में भी आज भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। पुरानी संसद का कार्य सन् 1917 से 1937 के बीच हुआ था। संसद के अलावा धौलपुर का रेड स्टोन दिल्ली के लाल किला, कुतुब मीनार, अक्षरधाम तथा फतेहपुर सीकरी, आगरा का लाल किला समेत अन्य इमारतों में भी सरमथुरा का रेड स्टोन लगा हुआ है। कई सालों के साथ भी यह पत्थर दिल्ली में राजस्थान के नाम को बुलंद किए हुए है।