नए संसद भवन के लिए धौलपुर के पत्थर का सैंपल पास होने से यहां के व्यापारियों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। धौलपुर में पत्थर के हब बाड़ी के पत्थर व्यवसाई मुन्ना लाल मंगल ने बताया कि धौलपुर के लाल पत्थर का इतिहास पुराना है। इसकी प्रकृति ऐसी है की यह ना तो जल्दी ठंडा होता है और ना ही जल्दी गर्म। पानी पडऩे पर इसमें निखार आता है। इस पत्थर में नक्काशी का काम बहुत सुंदरता से व आसानी से किया जाता है। यह लंबे समय तक चलने वाला बालुई पत्थर है। जो दिल्ली के लाल किला, संसद भवन, इंडिया गेट, अक्षरधाम मंदिर के साथ कई ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध इमारतों को दमका रहा है। वर्षो बाद भी आज भी सही हालत में है।
कोरोना महामारी से प्रभावित पत्थर उद्योग को जगी व्यवसाय की उम्मीद
महामारी कोरोना की वजह से पत्थर का व्यवसाय प्रभावित हुआ था, लेकिन नई संसद भवन में इसके इस्तेमाल होने की बात सामने आने पर अब धौलपुर के पत्थर व्यवसाय में एक बार फिर से चार चांद लगने की उम्मीद जगी है। ऐसे में जिले सैकड़ों लोगों को एक बार फिर अपने घर मे ही रोजगार प्राप्त होगा और जिले के पत्थर व्यापार को एक नई गति मिलेगी।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा में नई संसद भवन को अत्याधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। जिसमें सेंट्रल हॉल के साथ कई ऐसी इमारतें बनेंगी, जो आधुनिक सुविधाओं से युक्त होंगी। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे राजपथ का सुधार होगा। अंडरपास और अंडर ग्राउंड ब्लॉक बनेंगे। इनके अलावा कृत्रिम तालाबों पर 12 पुल बनाए जाएंगे। इन सभी में लाल पत्थर का उपयोग किए जाने की संभावना है।