खपत के कारण ये फैक्ट्रियां भी कम हो रही संचालित जिले में अधिकांश फैक्ट्रियां डेयरी उत्पाद बनाने वाली हैं। इसमे पनीर, मावा, घी आदि वाली शामिल हैं। लेकिन इनके मालिकों ने खपत नहीं होने के कारण इनको बंद कर रखा है। हालांकि इन पर शुरू से ही रोक नहीं थी, लेकिन जब खपत ही नहीं होगी तो उत्पादन करने से क्या फायदा। ऐसे में करीब तीस से चालीस प्रतिशत डेयरी प्लांट बंद हैं। क्योंकि मिठाई की दुकान तो खुल गई, लेकिन बिक्री नहीं है। वहीं शादी विवाह और त्योहार व मेले भी निकल गए हैं, जिनमें बड़ी मात्रा में डेयरी उत्पादों की खपत होती थी। वहीं नमकीन, बेस, आटा दाल मिल जरूर संचालित हैं।
स्टोन यूनिट भी 40 प्रतिशत ही खुले
जिले की पहचान धौलपुर स्टोन व गैंगसा यूनिट भी मांग नहीं होने के कारण जिले में स्थित पूरी यूनिट में से 40 प्रतिशत ही खुल पाई हैं। जिले में इनकी संख्या अनुमानित 200 के करीब हैं। लेकिन निर्माण कार्य में तेजी नहीं आने के कारण इनमें खपत नहीं हो रही है, वहीं मेहनताना पूरा लगता है। इनमें बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत होती है। ऐसे में गैंगसा मालिकों को नुकसान हो रहा है। इस कारण आधे से अधिक ने बंद ही कर रखी है। इससे श्रमिक भी बेरोजगार हो रहे हैं तो मालिकों को भी घाटा हो रहा है। रीको में 60 प्रतिशत तथा ईंट भट्टे 80 प्रतिशत तक खुल गए हैं।
उड़ीसा, छत्तीसगढ़ चले गए श्रमिक फाउण्ड्री फैक्टियों में कार्य करने वाले अधिकांश श्रमिक उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा झारखण्ड के हैं। कुछ दिन तो वे फैक्ट्रियों के अंदर ही रहे, लेकिन जब सभी श्रमिक अपने घरों पर जाने लगे तो उन्होंने भी अपने घर जाने की पड़ी। इस पर प्रशासन ने उनको भी भिजवाया। लेकिन जिले में आए करीब 16 हजार श्रमिकों में अधिकांशत होम क्वारंटीन चल रहे हैं तो कइयों को इन फैक्ट्रियों में कार्य करने का अनुभव नहीं है।
आरएसएलडीसी ने सौंपी श्रमिकों की सूची जिले में प्रशिक्षित करीब तीन हजार लोगों की सूची उद्योग विभाग ने उद्योगपतियों को सौंपी है। इन लोगों को आरएसएलडीसी ने विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया है। लेकिन इनमें से भी अभी तक लोगों का चयन नहीं किया गया है। इसके पीछे यह भी कारण माना जा रहा है कि इनकी खपत नहीं है, क्योंकि दिल्ली, आगरा जैसे शहरों में इन माल की आपूर्ति न कर बराबर है। इन शहरों में अधिकांश जगह कफ्र्यू लगा हुआ है।
इनका कहना है
जिले में वर्तमान में बड़ी फैक्ट्रियां 453 हैं, जिनमें 50 लाख रुपए से अधिक का इनवेस्टमेंट है। इनमें श्रमिकों के अभाव में करीब 50 प्रतिशत फैक्ट्रियां बंद हैं। इनके अधिकांश मालिक आगरा सहित ग्वालियर व दिल्ली में रहते हैं। इनकी श्रमिक उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों में अपने घर चली गई हैं। उद्योगपतियों को आरएसएलडीसी से प्रशिक्षित तीन हजार व्यक्तियों की सूची सौंपी है, इनसे रोजगार भी मिलेगा और फैक्ट्रियां शुरू होने के आसार भी बनेंगे।
कृष्ण अवतार शर्मा, महाप्रबंधक, उद्योग विभाग, धौलपुर। इनका कहना है जिले में फैक्ट्रियों में श्रमिकों को नियोजित कराने तथा उपलब्ध कराने के लिए श्रम विभाग को कहा गया है। राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रवासी श्रमिकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। हालांकि कई उद्योगपतियों को झारखण्ड सहित अन्य प्रदेशों से वापस श्रमिकों को लाने के लिए बसों की अनुमति भी उदारता बरतते हुए दी है। जिससे फैक्ट्रियों का संचालन शीघ्र ही शुरू होने की संभावना है।
राकेश कुमार जायसवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर।