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रोडवेज के यात्री बढ़े, पर स्टैण्ड नहीं ले पाया विस्तार

एक साथ आधा दर्जन से अधिक बसों को स्टैण्ड पर खड़ा करना मुश्किल हो जाता है। कई सालों के साथ भी स्टैण्ड का विस्तार नहीं हो पाया और न ही यात्रियों को सुविधाएं मिल पा रही हैं। जबकि केन्द्रीय बस स्टैण्ड से प्रतिदिन 12 हजार यात्री विभिन्न स्थानों के लिए यात्रा करते हैं।

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रोडवेज के यात्री बढ़े, पर स्टैण्ड नहीं ले पाया विस्तार Roadways passengers increased, but stands could not expand

- पूर्वीवर्ती गहलोत सरकार में 2 करोड़ रुपए मिलने पर अंत में लटके

- केन्द्रीय बस स्टैण्ड पर यात्रियों के बैठने तक नहीं सुविधा

धौलपुर. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसे धौलपुर प्रदेश में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां से देश का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 गुजर रहा है जो आवागमन के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इसी हाइवे पर रोडवेज का केन्द्रीय बस स्टैण्ड बना हुआ है जो प्रदेश को यातायात के लिहाज से बड़े नेटवर्क से जोड़ता है। शहर में पुराने समय से ही बस स्टैण्ड हाइवे स्थित स्थान पर चल रहा है लेकिन कई साल से आसपास स्थान खुला होने से बसों को खड़े होने में समस्या नहीं आती थी लेकिन अब आबादी बसने से स्टैण्ड का हिस्सा बेहद सीमित रह गया है। हाल ये है कि एक साथ आधा दर्जन से अधिक बसों को स्टैण्ड पर खड़ा करना मुश्किल हो जाता है। कई सालों के साथ भी स्टैण्ड का विस्तार नहीं हो पाया और न ही यात्रियों को सुविधाएं मिल पा रही हैं। जबकि केन्द्रीय बस स्टैण्ड से प्रतिदिन 12 हजार यात्री विभिन्न स्थानों के लिए यात्रा करते हैं।

गहलोत सरकार में जगी थी उम्मीद, पर नहीं मिला बजट

पूर्ववती अशोक गहलोत सरकार में धौलपुर बस स्टैण्ड के विकास को लेकर उम्मीद बंधी थी। उस समय करीब दो करोड़ रुपए का बजट आना था। इसको लेकर पीडब्ल्यूडी विभाग ने भी तैयारी कर ली और कामकाज को लेकर अनुमानित बजट बनाना भी शुरू कर दिया था लेकिन अंतिम समय में बजट नहीं मिला। उस समय बस स्टैण्ड का बगल में स्थित कार्यशाला के कुछ हिस्से को इसमें शामिल करने की योजना थी लेकिन बजट नहीं मिलने से विस्तार का कार्य धरा रह गया।

स्टैण्ड पर नहीं जगह, यात्रियों भी रहते हैं परेशान

बता दें कि केन्द्रीय बस स्टैण्ड सीमित दायरे में है। यहां पर ज्यादातर हिस्सा बसों के खड़ा करने के लिए रखा है। जबकि यात्रियों को यहां पर विशेष सुविधाएं नहीं हैं। हाल ये है कि यात्रियों के लिए अतिरिक्त ब्रेंच या वाहनों के इंतजार के लिए अलग से हॉल तक नहीं है। वहीं, स्टैण्ड पर ऊपर के हिस्से पर जगह नहीं होने से कई दफा बसों को नीचे हाइवे की सर्विस लेन पर खड़ा करना पड़ता है, जिससे यहां जाम की स्थिति बन जाती है।

प्रतिदिन 10 लाख रुपए की आय

केन्द्रीय बस स्टैण्ड से प्रतिदिन करीब 10 लाख रुपए की आय होती है। बस स्टैण्ड से औसत करीब 11 हजार यात्री विभिन्न स्थानों के लिए यात्रा करते हैं। स्टैण्ड से वर्तमान में रोडवेज की 57 बसें संचालित हैं। इसके अलावा अनुबंधित 22 बसें और चल रही हैं। यहां से मुख्यतय आगरा, भरतपुर, जयपुर, दिल्ली और यूपी के कई शहरों के लिए सीधी बस सेवा है।

रोडवेज की कार्यशाला भी नहीं हो पाई शिफ्ट

रोडवेज की माली हालत खराब होने की वजह से बस स्टैण्ड के पास संचालित कार्यशाला (डिपो) भी अन्य स्थान पर शिफ्ट नहीं हो पाई। रोडवेज को ओडेला क्षेत्र में साल 2017 में कार्यशाला के लिए भूखण्ड उपलब्ध हो चुका है। लेकिन निर्माण कार्य के लिए बजट नहीं होने से कार्यशाला नए स्थान पर शिफ्ट नहीं हो सकी।