200 बेड के चिकित्सालय में नहीं होता गंभीर मरीजों का उपचार
बाड़ी. जिले के दूसरे नंबर के 200 बेड की क्षमता वाले बाड़ी सामान्य चिकित्सालय में गंभीर बीमारियों से ग्रसित और दुर्घटना में घायल लोगों के लिए कोई उपचार नहीं है। बुधवार सुबह अखबार वितरित करने वाला एक हॉकर के बाइक से एक्सीडेंट होने के बाद उसके परिजन और अन्य लोग जब घायल अवस्था में लेकर अस्पताल पहुंचे तो

200 बेड के चिकित्सालय में नहीं होता गंभीर मरीजों का उपचार
- दुर्घटना में घायल लोगों को किया जाता है धौलपुर रैफर
-प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं होती नसीब
बाड़ी. जिले के दूसरे नंबर के 200 बेड की क्षमता वाले बाड़ी सामान्य चिकित्सालय में गंभीर बीमारियों से ग्रसित और दुर्घटना में घायल लोगों के लिए कोई उपचार नहीं है। बुधवार सुबह अखबार वितरित करने वाला एक हॉकर के बाइक से एक्सीडेंट होने के बाद उसके परिजन और अन्य लोग जब घायल अवस्था में लेकर अस्पताल पहुंचे तो घायल को देखने और उसकी सुध लेना वाला कोई नहीं था। जब एक घंटे तक किशोर दर्द से चीखता रहा तो परिजन और मोहल्ले के लोग भी एकत्रित हो गए। जिन्होंने उपस्थित चिकित्सकों से घायल को उपचार देने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। ऐसे में आक्रोशित परिजनों और मोहल्लेवासियों ने अस्पताल में विरोध प्रदर्शन करते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। लेकिन इस हंगामे का भी अस्पताल प्रशासन पर कोई खास असर नजर नहीं आया। ड्यूटी पर उपस्थित एक चिकित्सक ने घायल को देखने के बाद एक बोतल लगाने के नर्सिंग स्टाफ को निदेश दिए और चले गए। ऐसे में सही रूप से उपचार नहीं होते देख मजबूर और बेबस परिजन घायल को लेकर जिला अस्पताल रवाना हो गए।
जानकारी के अनुसार शहर के हथियापोर हरिजन बस्ती निवासी किशोर किशन सिंह पुत्र नरेश अखबार बांटने का काम करता है। जो बुधवार की सुबह जब अपनी साइकिल से निकला तो बारहमासी पीपल के पास एक बाइक से एक्सीडेंट में घायल हो गया। उसके पैर में फ्रेक्चर हुआ था। ऐसे में उसके परिजन उपचार के लिए उसे अस्पताल लेकर आए, जहां काफी समय तक उसके प्राथमिक उपचार को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई। वह घुटने में गंभीर चोट होने के चलते दर्द से तड़पता रहा, लेकिन ना तो चिकित्सक ने उसकी पीड़ा को जाना और ना नर्सिंग स्टाफ पर कोई फर्क पड़ा। इस पर परिजन और मोहल्ले के लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया और उन्होंने अस्पताल में हंगामा किया। यहां तक की अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। बाद में कोई उपचार नहीं होते देख घायल को उसके परिजन निजी एम्बुलेंस से धौलपुर लेकर रवाना हो गए।
शहर के लोगों का मानना है कि बाड़ी अस्पताल में केवल आम बीमारियों का इलाज होता है।। साथ में मौसमी बीमारियों का भी उपचार हो जाता है, लेकिन दुर्घटना या गंभीर हादसों में अस्पताल के पास सिवाय रैफर करने की कोई चारा नहीं है। ऐसे में कई लोग धौलपुर पहुंचते-पहुंचते मौत का भी शिकार बन चुके हैं। इसी के चलते बाड़ी में ट्रोमा सेंटर की बेहद आवश्यकता महसूस होती है, क्योंकि बाड़ी एक तो नेशनल हाईवे 11बी पर बसा है। वहीं दूसरी ओर बसेड़ी-भरतपुर और सैपऊ कंचनपुर को जाने वाले स्टेट हाइवे हैं। जिन पर आए-दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अस्पताल में घायलों का कोई उपचार नहीं होता है। यहां तक की प्राथमिक चिकित्सा भी नसीब नहीं हो पाती है। चिकित्सक घायलों को देखने के बाद सीधे रैफर करते है।
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