धौलपुर. शरीर में जो महत्व रीढ़ का है, कमोबेश शहर की सफाई में वहीं महत्व शहर के सबसे बड़े नाले का है। रीढ़ में परेशानी हो तो इंसान न उठ-बैठ पाएगा और न चल पाएगा। ऐसे ही अगर शहर का मुख्य नाला ही गंदगी से अटा पड़ा हो तो शहर का गंदा पानी कैसे बाहर हो। शहर में महात्मा नंद की बगीची के पीछे से सागरपाड़ा और शेरगढ़ किले के पास से होता हुआ चंबल के बीहड़ों तक जा रहा शहर का मुख्य नाला बरसों से सफाई की बाट जोह रहा है। हालात यह हैं कि इस नाले में पांच-छह फीट तक गहराई में कचरा भरा हुआ है। इसे देख कर लगता ही नहीं कि कभी इस नाले की सफाई भी हुई होगी। ऐसे में हर साल थोड़ी सी बारिश में ही शहर जलमग्न हो जाता है।बदहाल है बटऊपुरा नालाशहर में सिटी जुबली हॉल और पटपरा के पास स्थित बटऊपुरा नाले की हालत भी बदहाल ही है। इस नाले में भी कीचड़ और गंदगी का जमावड़ा है। यह नाला भी शहर के प्रमुख नालों में शुमार है लेकिन, इसकी सफाई के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है। बटऊपुरा नाले में सिटी जुबली हॉल, पटपरा, आदर्श स्कूल के पीछे की कॉलोनियों का गंदा पानी जाता है। दुर्गन्ध से जीना मुहालशहर के नालों से आती दुर्गन्ध से आसपास के लोगों का जीना मुहाल है। सफाई नहीं होने से इनसे उठने वाली तेज बदबू लोगों को परेशान किए रहती है। वहीं, कुछ नालों की सफाई कर ठेकेदार ने गंदगी नाले के किनारे ही रख दी है। ऐसे में लोग गंदगी और बदबू झेलने को मजबूर हैं।