scriptडांग की भौगोलिक स्थिति के जानकार है डकैत, मुठभेड़ के बाद पहले भी कई बार हो चुके फरार | The dacoit is aware of the geographical location of Dang, after the en | Patrika News

डांग की भौगोलिक स्थिति के जानकार है डकैत, मुठभेड़ के बाद पहले भी कई बार हो चुके फरार

locationधौलपुरPublished: Oct 28, 2020 02:55:05 pm

Submitted by:

Naresh

धौलपुर. चंबल के बीहडों का बागी और बंदूक से नाता बहुत पुराना है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा का विभाजन करती चंबल में डकैतों की कहानियां छुपी हुई है। चंबल बीहड़ के हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ डकैत पुलिस के चक्रव्यूह को तोडऩे में कामयाब होते रहे है। हालांकि पुलिस ने क्षेत्र मेें लगातार तलाशी अभियान चलाते हुए ना केवल डकैतों के कुछ सुरक्षित स्थानों पर चिन्हित कर लिया है,

The dacoit is aware of the geographical location of Dang, after the encounter, he has escaped many times before.

डांग की भौगोलिक स्थिति के जानकार है डकैत, मुठभेड़ के बाद पहले भी कई बार हो चुके फरार

डांग की भौगोलिक स्थिति के जानकार है डकैत, मुठभेड़ के बाद पहले भी कई बार हो चुके फरार
अमित सिंह
धौलपुर. चंबल के बीहडों का बागी और बंदूक से नाता बहुत पुराना है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा का विभाजन करती चंबल में डकैतों की कहानियां छुपी हुई है। चंबल बीहड़ के हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ डकैत पुलिस के चक्रव्यूह को तोडऩे में कामयाब होते रहे है। हालांकि पुलिस ने क्षेत्र मेें लगातार तलाशी अभियान चलाते हुए ना केवल डकैतों के कुछ सुरक्षित स्थानों पर चिन्हित कर लिया है, बल्कि यहां की हर गतिविधियों पर निगरानी के लिए स्थानीय लोगों से संपर्क साधे हुए है। लेकिन इसके बावजूद डांग में डकैतों के कई सुरक्षित स्थान बना रखे है, यहां इन्हें छुपने के दौरान आसानी से राशन, पानी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो रही है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में चम्बल नदी के बहाव से हुए मिट्टी के कटाव से करौली, धौलपुर सीमा क्षेत्र के डांग इलाके में गड्डों का निर्माण हो गया। इन गड्डों को बीहड़, डांग और खादर के नाम से पुकारा जाता है। क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है। बीहड़ों के टेड़-मेड़े रास्तों के डकैत जानकार और इन रास्तों के आवागमन के लिए स्वयं के स्तर पर चिन्ह भी लगाएं गए है। ऐसे में डांग क्षेत्र में अगर पुलिस दबिश देती है, वे बीहड़ के जानकार रास्तों से आसानी से सुरक्षित स्थान तक पहुंच जाते है। जिसके बाद पुलिस का सर्च अभियान भी डकैतों तक नहीं पहुंच पाता है।
चंबल से होकर एमपी में प्रवेश का रास्ता
चंबल नदी का बहाव क्षेत्र पठारीय है। पठारीय क्षेत्र होने के कारण चंबल नदी में कई जगह ऊबड खाबड़ हो जाने के कारण पानी का बहाव कम है। चंबल की भौगोलिक स्थिति के जानकार डकैतों ने बहाव क्षेत्र में उन रास्तों को चिन्हित कर रखा है, जहां पानी कम है। वे पुलिस के मुठभेड़ के दौरान आसानी से इन रास्तों से पड़ोसी राज्य की सीमा में प्रवेश कर जाते है और अपने आप को सुरक्षित कर लेते है। पुलिस बहती चंबल नदी के पार करने रास्तों की जानकारी नहीं होने के कारण अपने स्थान पर ही खड़ी रह जाती है। डांग क्षेत्र में डकैतों और बदमाशों को पकडऩे के लिए पुलिस ने कई बार दबिशें भी दी, लेकिन अक्सर बदमाशों और डकैतों का चंबल पार कर पड़ोसी राज्य के पहुंच जाना सामने आया है।
घना जंगल भी वरदार
बसई डांग क्षेत्र के घने जंगल भी डकैतों के लिए वरदान बने हुए है। इन जंगल क्षेत्र में डकैत गिरोह ऐसे स्थान पर अपना डेरा जमाते है, यहां से उन्हें कई किलोमीटर तक की गतिविधियों की जानकारी आसानी से होती रहे। सोमवार को हुई मुठभेड़ में डकैत केशव गिरोह ने जिस स्थान पर डेरा जमा रखा था, वह एक कंटीली झांडियों के बीच एक टापू नुमा एरिया था, यहां से गिरोह को हर गतिविधि की जानकारी आसानी से हो रही थी। जब यहां पुलिस ने दबिश दी, इस दौरान डकैतों को ऊंचाई से फायरिंग करते हुए पुलिस को यहां तक पहुंच पाने में सफलता प्राप्त कर ली और फायदा उठाकर गिरोह मौके से फरार हो गए।
धौलपुर के बदमाशों को एमपी व यूपी में भी दबदबा
पुलिस की ओर से अभी तक गिरफ्तार किए गए डकैतों का धौलपुर जिले के अलावा पड़ोसी प्रदेश उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश क्षेत्र में अपराधिक गतिविधियों में दबदबा रहा है। गिरफ्तार अधिकांश बदमाशों की ओर से गिरोह चलाया जा रहा था और हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, फिरौती, अपरहरण, चौथ वसूली जैसे करीब एक हजार से अधिक मामला जिले के अलावा पड़ोसी जिले करौली, सवाई माधोपुर एवं उत्तर प्रदेश के आगरा, मध्य प्रदेश के मुरैना, ग्वालियर जिलों में दर्ज है।
अधिकांश बदमाश बाड़ी क्षेत्र के
पुलिस के आंकडों पर नजर डाले तो जिले में जिन-जिन बदमाशों की ओर से डांग क्षेत्र की ओर रूख किया गया है, वे बाड़ी क्षेत्र के बसई डांग, बाड़ी सदर, कंचनपुर के रहने वाले है। बदमाशों की अधिकांश रिश्तेदारियों व संपर्क बसई डांग क्षेत्र में रहने वालें लोगों के कारण इन्हें यहां छुपने में आसानी होती है, साथ ही स्थानीय स्तर पर सुविधाएं भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो