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बाढ़ का असर अब भी बरकरार, इतनी हुई बुवाई

locationधौलपुरPublished: Dec 12, 2019 01:23:31 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

खेतों में खड़ी फसलों के समय अतिवृष्टि, सूखा, पाला पडऩे व बीमारियां फैलने सहित अन्य समस्याओं तथा जिन्सों का उचित भाव नहीं मिलने से चिंतित जिले का अन्नदाता अब विभिन्न परंपरागत फसलों से विमुख होने लगा है।

बाढ़ का असर अब भी बरकरार, इतनी हुई बुवाई

बाढ़ का असर अब भी बरकरार, इतनी हुई बुवाई

बाढ़ का असर अब भी बरकरार, इतनी हुई बुवाई
अब भी चल रही गेहूं की बुवाई
धौलपुर. खेतों में खड़ी फसलों के समय अतिवृष्टि, सूखा, पाला पडऩे व बीमारियां फैलने सहित अन्य समस्याओं तथा जिन्सों का उचित भाव नहीं मिलने से चिंतित जिले का अन्नदाता अब विभिन्न परंपरागत फसलों से विमुख होने लगा है। जिले में कृषि विभाग द्वारा बुवाई के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले करीब 85 फीसदी भूमि में विभिन्न फसलों की बुवाई हो चुकी है। अब केवल गेंहू की ही बुवाई बची रह गई है, जो जारी है।
विभाग द्वारा विभिन्न फसलों के लिए निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले तो बुवाई अधिक हुई, लेकिन गत वर्ष हुई बुवाई के मुकाबले कम रकबा में ही बुवाई हो पाई है। कृषि विभाग ने इस वर्ष जिले में कुल एक लाख 47 हजार हैक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके मुकाबले करीब एक लाख 25 हजार हैक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुवाई हो चुकी है। विभाग ने जिले में खाद्यान्न, तिलहन, दलहन, चारा व सब्जी आदि की बुवाई के लिए अपने लक्ष्य में उक्त क्षेत्रफल निर्धारित किया है। जिले में खाद्यान्न में इस सीजन में केवल गेंहू व चना की ही प्रमुख तौर पर बुवाई होती है, जबकि तिलहन में केवल सरसों ही प्रमुख है। जिले की सर्वाधिक परंपरागत फसल भी यही हैं। जिले की मिट्टी भी इन फसलों को ही अब स्वीकार सी कर चुकी हैं। हालांकि कुछ इलाकों में मूंगफली की भी पैदावार होती है लेकिन यह ना के बराबर ही है। दलहन में मटर आदि की भी बुवाई नाम मात्र के लिए ही होती है। जिले में अच्छी व सर्वाधिक पैदावार वाली सैंपऊ, राजाखेड़ा व धौलपुर तहसीलें ही हैं। बाड़ी, बसेड़ी व सरमथुरा तहसीलों में पथरीला इलाका अधिक होने के चलते अपेक्षाकृत कम पैदावार होती है।
गत वर्ष की अपेक्षा 1625 हैक्टेयर कम बोई सरसों
विभाग ने इस वर्ष करीब 65 हजार हैक्टेयर भूमि में सरसों की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया था जबकि अब तक करीब 67 हजार पांच सौ हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है। विभाग के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले तो बुवाई क्षेत्र इस वर्ष करीब ढाई हजार हैक्टेयर की वृद्धि हुई है, लेकिन यह बुवाई क्षेत्रफल गत वर्ष की अपेक्षा करीब एक हजार 625 हैक्टेयर कम रहा है। गत वर्ष करीब 69 हजार 125 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की बुवाई हुई थी। जिले का कृषक सरसों को सर्वाधिक नकदी फसल मानता है, क्योंकि इसे आवारा जानवर अन्य फसलों की अपेक्षा कम क्षति पहुंचा पाते हैं। इसकी अन्य फसलों की अपेक्षा ना तो अधिक देखभाल करनी पड़ती है और ना ही नुकसान होता है। लेकिन गत कई वर्षों में फसल के समय पाला पडऩे व बीमारियां लगने से जहां पैदावार कम हुई। वहीं मण्डी भाव भी अपेक्षानुरूप कम रहे हैं। जिले के चंगौरा निवासी कृषक लल्लू लाल शर्मा सहित अनेक किसानों का कहना है कि फसलों में जितनी लागत आ रही है उसके अनुपात में समय पर भाव नहीं मिलने से औंने-पौंने दामों में फसलें बेचने को मजबूर होना पड़ता है।

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