-सियासी घटनाक्रम में तीनों ने गहलोत के पक्ष में है दिया समर्थन धौलपुर. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले पूर्व राजस्थान के धौलपुर जिले में चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। वर्तमान में तीनों विधायक ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में खड़े नजर आए हैं। ऐसे में मंत्रीमण्डल विस्तार में धौलपुर जिले में किसी एक विधायक को मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है। हालांकि जिले के तीनों ही कांग्रेसी विधायक मंत्री पद के लिए प्रयासरत हैं। वहीं तीनों की अपने-अपने वर्चस्व के हिसाब से दावेदारी है।
क्यों जरूरी है जिले में मंत्री
धौलपुर जिला पूर्वी राजस्थान का सबसे अधिक पिछड़ा जिला है। इसे केन्द्र सरकार ने भी पिछड़ा जिला घोषित कर आशांवित जिलों में शुमार कर रखा है। राजस्थान के अंतिम छोर सीमावर्ती जिलों में शामिल धौलपुर जिले में विकास की बेशुमार संभावनाएं हैं। जिले का अधिकांश भूभाग डांग तथा बीहड़ में होने के कारण लोग अशिक्षित हैं। साथ ही मूलभूत सुविधाओं के लिए भी परेशानी होती है। जिले से राजधानी की दूरी भी अधिक होने के कारण लोगों का सीधा जुड़ाव नहीं है।
कांग्रेस का रहा है गढ़
धौलपुर जिला हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब पूरे राजस्थान में वर्ष 2013 में केवल 21 सीटें आई थी,ं तब धौलपुर जिले से बाड़ी तथा राजाख्ेाड़ा के दोनों विधायकों ने अपना वर्चस्व दिखाते हुए जीत दर्ज की थी। राजाखेड़ा से जहां प्रद्युम्नसिंह ने जीत दर्ज कराई, वहीं बाड़ी से गिर्राजसिंह मलिंगा ने दूसरी बार स्वयं को साबित किया। इस दौरान जिले में भाजपा की केवल एक सीट बसेड़ी से आई थी। जबकि धौलपुर में बसपा के बीएल कुशवाह जीते थे। हालांकि उनके जेल जाने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी शोभारानी कुशवाह ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कराई थी। इसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी जिले की राजाखेड़ा, बाड़ी तथा बसेड़ी से कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है।
इसलिए हैं तीनों मंत्री पद के दावेदार राजाखेड़ा से रोहित बोहरा कांग्रेस टिकट पर भले ही पहली बार विधायक बने हों, लेकिन उनको राजनीतिक का वर्षों पुराना अनुभव हैं। उनका परिवार राजाखेड़ा से करीब 90 वर्षों से राजनीकि करता आ रहा है। वहां पर उनके परिवार का मजबूत वर्चस्व है। उनके बाबा प्रताप सिंह, उनके पिता प्रद्युम्नसिंह लगातार राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से जीतते आए हैं। वहीं उनके पिता की राज्य सरकार में वर्षों तक गृह मंत्री, वित्त मंत्री की हैसियत से भागीदारी रही है। प्रदेश में उनकी कद्दावर नेताओं में गिनती हैं। वहीं रोहित बोहरा भी जमीन से जुड़े कार्यकर्ता रहे हैँ। साथ ही युवक कांग्रेस से जुड़ कर कांग्रेस में वर्तमान में प्रदेश सचिव भी हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है
बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा लगातार तीन बार से विधायक हैं। पहली बार बसपा से विधायक बने थे, लेकिन कांगे्रस की गहलोत सरकार में बसपा छोड़कर अपने साथी विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद उनको सरकार में संसदीय सचिव बनाया गया था। फिर वर्ष 2013 में कांग्रेस के टिकट पर बाड़ी से चुनाव जीता। इस दौरान पूरे प्रदेश में ही कांग्रेस के 21 विधायक चुने गए थे। इससे इनका कद पार्टी में बढ़ गया। इस बार भी लगातार तीसरी बार विधायक बनने के कारण मंत्री बनने की प्रबल दावेदारी थी। हालांकि सरकार में भागीदारी नहीं मिल पाई। लेकिन अब बदलते घटनाक्रम में हो सकता है, सरकार में मंत्री पद या राजनीतिक नियुक्ति से नवाजा जाए
बसेड़ी से विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा की भी मंत्री पद के लिए प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। उनका नाम भी हर बार मंत्रीमण्डल विस्तार से पूर्व उछलता है। वे करौली-धौलपुर से कांग्रेस से सांसद रहे चुके हैं। वहीं वर्ष 2018 में उन्होंने बसेड़ी से चुनाव जीता। जिले में कांग्रेस से एक मात्र दलित वर्ग से विधायक होने के कारण तथा दिल्ली में अच्छी पैठ होने के कारण बैरवा मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। वे गहलोत गुट में शामिल हैं। साथ ही हाल में उन्होंने बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा से भी अपने मन मुटाव दूर कर लिए हैं। इसलिए उनकी भी प्रबल संभावना बन रही हैं।
जिले में विधानसभा चुनाव के बाद से नहीं बन पाया कोई कांगे्रस जिलाध्यक्ष वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से धौलपुर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे पूर्व मंत्री तथा दिग्गज कांग्रेसी बनवारीलाल शर्मा के पुत्र तथा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष अशोक शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। इससे जिले में अचानक राजनीतिक उथल पुथल मच गई थी। लम्बे समय से कांग्रेस से जुड़े होने तथा जिलाध्यक्ष ही पार्टी से चले जाने के कारण कांग्रेस के समीकरण बिगड़ते दिखाई दिए। लेकिन किसी भी जातिगत समीकरण को नहीं बिगाडऩे के चलते तात्कालिक तौर पर साकेतबिहारी शर्मा को कार्यकारी जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। लेकिन इसके बाद चुनाव में तीन सीट जीतने तथा लोकसभा, पंचायत राज चुनाव होने के बावजूद अभी तक जिले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं की गई है।
हालांकि एक दिन पूर्व बाड़ी विधानसभा क्षेत्र के सैंपऊ ब्लॉक अध्यक्ष विनित शर्मा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री गहलोत के समर्थन में नारे लगाए गए थे। साथ ही भाजपा के षडयंत्र का विरोध जताया गया था।