कोरोना काल में शिक्षा के गिरते ग्राफ में अपने बच्चों का विकास महिलाओं का दायित्व
धौलपुरPublished: Jun 13, 2021 06:27:59 pm
बाड़ी. विगत 2 सत्र से कोरोना महामारी के चलते शिक्षा की हालत बेहद चिंताजनक है, जहां बच्चे तैयार होकर विद्यार्जन के लिए विद्यालय जाते और शिक्षा ग्रहण करते हैं, वह तारतम्य ध्वस्त हो गया। इस दौरान बच्चे चाहे वह किसी वर्ग के हो, उन्होंने भरपूर छुट्टियां मनाई।
कोरोना काल में शिक्षा के गिरते ग्राफ में अपने बच्चों का विकास महिलाओं का दायित्व
कोरोना काल में शिक्षा के गिरते ग्राफ में अपने बच्चों का विकास महिलाओं का दायित्व बाड़ी. विगत 2 सत्र से कोरोना महामारी के चलते शिक्षा की हालत बेहद चिंताजनक है, जहां बच्चे तैयार होकर विद्यार्जन के लिए विद्यालय जाते और शिक्षा ग्रहण करते हैं, वह तारतम्य ध्वस्त हो गया। इस दौरान बच्चे चाहे वह किसी वर्ग के हो, उन्होंने भरपूर छुट्टियां मनाई। मौज मस्ती की है। अभिभावक भी इस परिस्थितियों से हैरान और परेशान हैं। करें तो क्या करें, उधर सरकार क्लास दर क्लास प्रमोट कर छात्रों की साल तो बचा रही है, लेकिन प्रश्न यह है कि इस दौरान इस पढ़ाई का क्या होगा, जो प्रमोट की गई है। बिना पढ़े और परीक्षा दिए वह ज्ञान जो छात्रों को मिलता है। उससे वह वंचित रह जाएंगे। ध्यान रहे, हर व्यक्ति के जीवन में उसके द्वारा प्रतिवर्ष पढ़ी गई शिक्षा का अपना महत्वपूर्ण स्थान होता है। हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई का एक तरीका निकाला गया है, लेकिन इसके लिए पूरा नेटवर्क सिस्टम ढंग से होना चाहिए, जो हमारे यहां नहीं है। इसके माध्यम से पढ़ तो सकते हैं, पर कुछ ही प्रतिशत बच्चे इससे लाभान्वित हो रहे हैं, जहां तक बच्चों का प्रश्न है वह तो पढ़ाई छोड़ कर अन्य नकारात्मक गतिविधियों के शिकार हो रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बच्चों के शिक्षा काल में यह रिक्तता जो आएगी, उसकी पूर्ति करना संभव नहीं है।
यह कहना है अग्रवाल महिला मंडल की लता मंगल का। उनका कहना है कि कहावतों में भी यह कहा जाता है की धन से भी ज्यादा समय महत्वपूर्ण है और यह समय व्यर्थ जा रहा है।
आज जरूरत है इस बात की एक ऐसा शिक्षा तंत्र विकसित किया जाये जो कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा से जोड़ सकें। इसके लिए प्रशासनिक एवं राजनैतिक प्रयास बहुत ही आवश्यक हैं। इस दौरान हम महिलाओं की जिम्मेदारी बहुत ही बढ़ गई है, जहां बच्चे विद्यालय जाते थे, अब घर पर ही रह रहे हैं। उनके समय का विभाजन कर सकारात्मक गतिविधियों से हमें उन्हें जोडऩा है, ज्यादातर महिलाएं शिक्षित हैं। वे सभी अपने बच्चों को उस क्लास की पढ़ाई अच्छे से कराएं तथा जो वक्त बचे उसको तरह तरह के बच्चों के खेल, जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण हैं उनको सिखाएं। बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है, हमें अपने बच्चों को कोरोना से बचाना भी है और उनका सर्वांगीण विकास भी करना है।