scriptजन्म नक्षत्र के अनुसार करें वृक्ष पूजा, बनते हैं बिगड़े काम | The role of BJP leader in buying gold jewelery from thefts in Bhilwara | Patrika News

जन्म नक्षत्र के अनुसार करें वृक्ष पूजा, बनते हैं बिगड़े काम

locationधौलपुरPublished: Nov 16, 2021 06:45:00 pm

Submitted by:

Naresh

– विपरीत ग्रहदशा से बचाने की है मान्यता
– भारतीय संस्कृति में सदियों से है पर्यावरण संरक्षण का संदेश

 The role of BJP leader in buying gold jewelery from thefts in Bhilwara is coming to the fore!

जन्म नक्षत्र के अनुसार करें वृक्ष पूजा, बनते हैं बिगड़े काम

जन्म नक्षत्र के अनुसार करें वृक्ष पूजा, बनते हैं बिगड़े काम

– विपरीत ग्रहदशा से बचाने की है मान्यता

– भारतीय संस्कृति में सदियों से है पर्यावरण संरक्षण का संदेश

धौलपुर. पर्यावरण संरक्षण में सबसे जरूरी पेड़ों का महात्म्य भारतीय संस्कृति में हमेशा से रहा है। देश में पीपल, आंवला, तुलसी, बरगद, अशोक आदि वृक्षों की उपासना बड़ी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है। ज्योतिषशास्त्र के मुहूर्त के अनुसार वनस्पतियों का चयन और उन्हें बोने का समय निर्धारित होता है। इसीलिए आयुर्वेदाचार्यों के लिए ज्योतिष का ज्ञान जरूरी होता है। यह सर्वविदित है कि तुलसी में अनेक गुण है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम व तुलसी विवाह किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी को आंवला के वृक्ष का पूजन, अर्चन, परिक्रमा एवं उसके नीचे भोजन किया जाता है। इसी प्रकार विजय दशमी को शमी के वृक्ष का पूजन किया जाता है। हवन में ग्रहों के अनुसार ही लकड़ी का प्रयोग करने का विधान है। सूर्य की उपासना के लिए आक की लकड़ी, चंद्र के लिए पलाश, मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहू के लिए दूर्वा और केतु के लिए कुशा का प्रयोग किया जाता है।ग्रंथों में यह है वनस्पति का महत्व गीताअश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:।गंधर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि:।।दसवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- सब वृक्षों में मैं पीपल हूं, देवार्षियों में नारद हूं, गंधर्वों में चित्रथ हूं और सिद्धों में कपिल हूं। पीपल का वृक्ष दिन और रात हर समय दैविक शुद्धता और प्राणवायु प्रदान करने वाला एकमात्र वृक्ष है। इसमें देवताओं का वास बताया गया है। रामचरित मानससनुहि बिनय मम बिटप असोका।सत्य नाम करु हरु मम सोका।।मां जानकी श्रीराम की प्रतीक्षा में अपनी पीड़ा हरने के लिए अशोक के वृक्ष से प्रार्थना कर रही हैं कि आप मेरा शोक हर लें और अपने अशोक नाम को सत्य करें।ऐसे जानें अपना नक्षत्रकुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में होता है वह चन्द्र राशि कही जाती है। गहराई पर जाने पर इसी राशि में तीन नक्षत्रों में एक नक्षत्र में होगा और चन्द्रमा जिस नक्षत्र में हो वह व्यक्ति का जन्म चन्द्र नक्षत्र होगा उसी के अनुसार पौधरोपण किया जाएंगा। मान्यता है कि वनस्पतियों की सेवा से ग्रहों को शांत किया जा सकता है।नक्षत्र और उनके वृक्षअश्वनि-कुचिला, भरणी-आंवला, कृतिका-गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आद्र्रा-अगर, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपल, आश्लेषा-चमेली, मघा-वड, पूर्वा फाल्गुनी-ढ़ाक, उत्तरा फाल्गुनी-पिलखन, हस्त-जाई, चित्रा-बेल, स्वाती-अर्जुन, विशाखा -बबूल, अनुराधा-नागकेशर, ज्येष्ठा-शंभल, मूल-राल, पूर्वाषाढ़ा-बेंत, उत्तराषाढ़ा-पनस, श्रवण-आक, धनिष्ठा-जाठी, शतभिषा-कदंब, पूर्वा भाद्रपद-आक, उत्तराभाद्रपद-नीम, रेवती-महुआ।
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