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विवाह पंचमी आज, मनाते हैं श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में, बन रहे सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग

locationधौलपुरPublished: Nov 28, 2022 07:00:42 pm

Submitted by:

Naresh

– श्रद्धालु करेंगे भगवान राम और माता सीता की पूजा
धौलपुर. मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। विवाह पंचमी श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार विवाह पंचमी 28 नंवबर को मनाई जाएगी। इस दिन माता सीता और भगवान राम की विवाह कराना बेहद शुभ माना जाता है।

 Vivah Panchami is celebrated today in the form of Shriram marriage festival, Sarvartha Siddhi and Ravi Yoga are being made

विवाह पंचमी आज, मनाते हैं श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में, बन रहे सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग

विवाह पंचमी आज, मनाते हैं श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में, बन रहे सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग
– श्रद्धालु करेंगे भगवान राम और माता सीता की पूजा

धौलपुर. मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। विवाह पंचमी श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार विवाह पंचमी 28 नंवबर को मनाई जाएगी। इस दिन माता सीता और भगवान राम की विवाह कराना बेहद शुभ माना जाता है।
मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन जो कोई भी व्यक्ति मां सीता और प्रभु श्रीराम का विवाह कराता है, उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की विवाह पंचमी 27 नवंबर को शाम 4 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ होगी और 28 नवंबर 2022 को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार विवाह पंचमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी।
यह रहेंगे मुहूर्त

विवाह पंचमी का अभिजित मुहूर्त 28 नवंबर को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। अमृत काल शाम 05 बजकर 21 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थि सिद्धि योग सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
विवाह पंचमी के दिन करें ये उपाय

– विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और सीता की पूजा करें। मां सीता और प्रभु श्रीराम के समक्ष धूप और अगरबत्ती जलाएं। ओम नमो नारायण मंत्र का जप करें।
– इस दिन सूर्य देव और शुक्र देव की पूजा करें। मां दुर्गा की पूजा करें। माता सीता और भगवान राम को दूर्वा अर्पित करें। इस दिन दान भी करना चाहिए। किसी जरूरतमंद व्यक्ति के विवाह की जिम्मेदारी लेकर उसे संपन्न कराएं।
– रामायण से बालकांड का पाठ करें। किसी निर्धन व्यक्ति के विवाह की जिम्मेदारी लें और उसे संपन्न कराएं। महिलाओं को भोजन दान में दें। अपनी मां का आशीर्वाद लें।
– इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद तुलसी या चंदन की माला से मंत्र या दोहों का जाप करें।
विवाह पंचमी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा जनक की पुत्री माता सीता ने शिवजी का धनुष उठा लिया था। जिसके बाद राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव के धनुष को उठाएगा, वो अपनी बेटी का विवाह उसी से कराएंगे। क्योंकि परशुराम के अतिरिक्त उस धनुष को कोई और उठा नहीं सका था। इसके बाद जब सीता माता का स्वयंवर रखा गया तो उसमें दूर-दूर से राजकुमार आए, लेकिन कोई भी उस धनुष को उठा नहीं पाया। अंत में राजा जनक हताश हो गए और उन्होंने कहा कि क्या कोई भी मेरी पुत्री के योग्य नहीं है। तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिवजी का धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा। गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम ने शिवजी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश तो की लेकिन इसी कोशिश में धनुष टूट गया। तब सीता जी का विवाह भगवान राम से हुआ।
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