15 दिन से स्कूलों का संचालन सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी क्षेत्र में पिछले 15 दिन से निजी स्कूलों का संचालन चोरी छिपे आरम्भ हो चुका है। जहां नियमों का पालन न होने से सैकड़ों छात्र छात्राओं का जीवन खतरे में डाला जा रहा है। गली गली में ट्यूशन सेंटर्स पर भी छात्रों की भीड़ दिखाई देती है। लेकिन कोई देखने वाला या कार्यवाही करने वाला नही है। दबाव पडऩे पर सिर्फ कमजोर लोगों के विरुद्ध ही कार्यवाही हो पाती है। प्रभावशाली संचालकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अभिभावक संघ की प्रतिभा, उषा, ममता, विनोदिनी आदि माताओं के आरोप है कि फीस वसूली के लिए विद्यालय संचालक बच्चों को विद्यालय पहुंचने के लिए दबाव बना रहे है। जबकि बालकों की सुरक्षा के लिए उनके पास किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। अधिकारी अपने कार्यालयों से जांच के लिए बाहर नही निकलते। बच्चों को इन हालात में भले ही कोरोना हो जाए।
चिकित्सा विभाग बेदम
ब्लॉक मुख्य चिकित्साधिकारी का पद रिक्त पड़ा हुआ है। विभाग में समन्वय नहीं है। चिकित्सक व कर्मचारी खुद अपनी सुरक्षा के लिए डरे हुए है। पूर्व बीसीएमओ डॉ. महेश वर्मा के कोरोना से निधन के बाद कर्मचारी सदमे में है और भयभीत भी। कर्मचारियों ने बताया कि यहां लोग मास्क लगा कर नहीं आते। उनको रोको तो लडऩे को उतारू हो जाते हैं। कहने को तो इस सबके लिए यहां एक पुलिसकर्मी तैनात है, लेकिन वह मिलता यदा कदा ही है। गंदगी का आलम यह है कि सबसे संवेदनशील हिस्से लेबोरेट्री में ही कर्मचारियों की हाथ और औजार धोने की सिंक बुरी तरह गन्दी थी, जो महीनों से साफ नहीं हुई थी, न ही उसमे पानी मौजूद था। ऐसे में कोन सुरक्षित है, ये भी नहीं कहा जा सकता।।