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धौलपुर

कागजों में दौड़ रहा कोरोना के विरुद्ध युद्ध, लापरवाही से अनियंत्रित हो सकते है हालात

राजाखेड़ा. राजाखेड़ा उपखंड में प्रशासनिक अनदेखी से कोरोना के विरुद्ध युद्ध सिर्फ कागजों में ही लड़ा जा रहा है, जहां अधिकारी सिर्फ आदेश निकाल कर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। जमीन पर लागू कराने वाला क्षेत्र में कोई नही दिखता। इन हालातों में कोरोना से लड़ाई का दायित्व सिर्फ पढ़े लिखे वर्ग तक ही सीमित होता जा रहा है। कोरोना का संक्रमण असीमित होता जा रहा है ।

धौलपुरSep 19, 2020 / 04:40 pm

Naresh

 War against Corona running on paper, situation can be uncontrolled with carelessness

कागजों में दौड़ रहा कोरोना के विरुद्ध युद्ध, लापरवाही से अनियंत्रित हो सकते है हालात

कागजों में दौड़ रहा कोरोना के विरुद्ध युद्ध, लापरवाही से अनियंत्रित हो सकते है हालात

राजाखेड़ा. राजाखेड़ा उपखंड में प्रशासनिक अनदेखी से कोरोना के विरुद्ध युद्ध सिर्फ कागजों में ही लड़ा जा रहा है, जहां अधिकारी सिर्फ आदेश निकाल कर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। जमीन पर लागू कराने वाला क्षेत्र में कोई नही दिखता। इन हालातों में कोरोना से लड़ाई का दायित्व सिर्फ पढ़े लिखे वर्ग तक ही सीमित होता जा रहा है। कोरोना का संक्रमण असीमित होता जा रहा है ।
उपखण्डाधिकारी के आदेश बेअसर
15 सितंबर को पत्रिका में खतरे में चलती रोडवेड़ सेवाओं पर खबर प्रकाशित होने के बाद रोडवेज प्रबंधन को आदेश जारी किया कि बस अड्डे पर टीम गठित कर थर्मल स्कैनिंग के साथ सेनिटीजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना सुनिशिचित कराई जाए। जिसकी अनुपालना में रोडवेज जिला प्रबंधन ने एक परिचालक को ही जिसको बुकिंग की जिम्मेवारी दी गई है। उसी को यह सारे काम करने के लिए पाबंद कर दिया। ऐसे में अगर परिचालक विण्डो पर बुकिंग करता है तो टेम्परेचर चेक कौन करेगा और बसों का सेनिटीजेशन कैसे होगा। यात्रियों को बचाव के लिए कैसे पाबंद किया जाएगा। यह कलई अपने आप ही खुल रही है। जबकी निगम प्रबंधन पर बड़ी संख्या में ऐसे कार्मिक मौजूद है, जो इस समय कार्य के अभाव में खाली बैठे है। शुक्रवार को बुकिंग विंडो पर भारी भीड़ थी, जहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना तो दूर यात्री टिकिट की जल्दी में एक दूसरे के साथ धक्का-मुक्की कर रहे थे। ऐसे में उत्तरप्रदेश के लिए संचालित होने वाले इस संवेदनशील मार्ग पर लोग संक्रमित होने से कैसे बच सकते है। इसको देखने वाला कोई नही है ।
15 दिन से स्कूलों का संचालन

सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी क्षेत्र में पिछले 15 दिन से निजी स्कूलों का संचालन चोरी छिपे आरम्भ हो चुका है। जहां नियमों का पालन न होने से सैकड़ों छात्र छात्राओं का जीवन खतरे में डाला जा रहा है। गली गली में ट्यूशन सेंटर्स पर भी छात्रों की भीड़ दिखाई देती है। लेकिन कोई देखने वाला या कार्यवाही करने वाला नही है। दबाव पडऩे पर सिर्फ कमजोर लोगों के विरुद्ध ही कार्यवाही हो पाती है। प्रभावशाली संचालकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अभिभावक संघ की प्रतिभा, उषा, ममता, विनोदिनी आदि माताओं के आरोप है कि फीस वसूली के लिए विद्यालय संचालक बच्चों को विद्यालय पहुंचने के लिए दबाव बना रहे है। जबकि बालकों की सुरक्षा के लिए उनके पास किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। अधिकारी अपने कार्यालयों से जांच के लिए बाहर नही निकलते। बच्चों को इन हालात में भले ही कोरोना हो जाए।
चिकित्सा विभाग बेदम
ब्लॉक मुख्य चिकित्साधिकारी का पद रिक्त पड़ा हुआ है। विभाग में समन्वय नहीं है। चिकित्सक व कर्मचारी खुद अपनी सुरक्षा के लिए डरे हुए है। पूर्व बीसीएमओ डॉ. महेश वर्मा के कोरोना से निधन के बाद कर्मचारी सदमे में है और भयभीत भी। कर्मचारियों ने बताया कि यहां लोग मास्क लगा कर नहीं आते। उनको रोको तो लडऩे को उतारू हो जाते हैं। कहने को तो इस सबके लिए यहां एक पुलिसकर्मी तैनात है, लेकिन वह मिलता यदा कदा ही है। गंदगी का आलम यह है कि सबसे संवेदनशील हिस्से लेबोरेट्री में ही कर्मचारियों की हाथ और औजार धोने की सिंक बुरी तरह गन्दी थी, जो महीनों से साफ नहीं हुई थी, न ही उसमे पानी मौजूद था। ऐसे में कोन सुरक्षित है, ये भी नहीं कहा जा सकता।।
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